कानपुर(हिमांशु गुप्ता):- अजय सिंह खाकी वर्दी की आड़ में न केवल वसूली कर रहा था बल्कि रात में लुटेरों का साथ देता था।*
कानपुर:- परिवार मुझे पढ़ा लिखाकर पुलिस में भेजना चाहते थे, लेकिन कक्षा दसवीं में फेल होने जाने के कारण मैंने आगे की पढ़ाई नहीं की। परिजनों ने मेरी शादी कर दी। पत्नी और बच्चों के पेट भरने के लिए मेरे पास पैसे नहीं थे। घर में फिल्म देखने के दौरान मुझे काम मिल गया। दुकान से पुलिस की वर्दी खरीदी और फिर इंस्पेक्टर बनकर लोगों को रोक कर उनको पकड़ता और जेल की धमकी देकर उनसे वूसली करने लगा। यह धंधा चल गया और फिर मेरे कदम बढ़ते गए। मैंने कुछ अपराधियों को अपने साथ मिला लिया और फिर लगातार आठ माह तक राहगीरों को रोककर तलाशी लेता और वाहन के कागज नहीं होने पर उन्हें परेशान करता। लोग कानून के पचड़े से बचने के लिए मुंहमांगी रकम देकर पीछा छुड़ाने लगे। यह बात पुलिस के हत्थे लगे वर्दीधारी नटवर लाल ने पूछताछ के दौरान कही।
आगरा का रहने वाला है नटवरलाल
आगरा के हरि पर्वत थाना क्षेत्र का रहने वाला अजय सिंह खाकी वर्दी की आड़ में न केवल वसूली कर रहा था बल्कि रात में लुटेरों का साथ देता था। बाबूपुरवा क्षेत्र में लूट के एक मामले में यहां की पुलिस को उसकी तलाश थी लेकिन तब यह नहीं पता था कि लुटेरा उन्नाव के गंगाघाट में इंस्पेक्टर बन कर रह रहा है। बाबूपुरवा पुलिस ने गंगाघाट पुलिस के संपर्क किया और गुरुवार तड़के उसको गांधीनगर से दबोच लिया। पकड़े जाने के बाद खुद पुलिस वालों ने बताया कि वह इनोवा और महंगी बाइक से घूमता था, महंगी शराब पीता था औऱ सिपाहियों पर रौब गांठता था। तलाशी में उसके कमरे से खाकी वर्दी, नेम प्लेट, परिचयपत्र, पिस्टल और वाकीटाकी मिला। कानपुर पुलिस ने आगरा पुलिस से संपर्क किया है, उसके बारे में और जानकारियां जुटायी जा रही हैं। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है कि कब से वह खाकी वर्दी पहन रहा और किन वारदातों में शामिल रहा है।
पुलिस के मौजूदगी में छुड़ा ले गया चोर
बुधवार को बाबू पुरवा थाना क्षेत्र के बगाही के रतनीस अपने कार से जा रहे थे। रतनीस ने कार खड़ी करके चाय पीने चले गए, इसी दौरान एक लड़के ने उनकी कार से बैग निकाल कर भागने लगा। रतनीश ने युवक को दौड़कर धरदबोचा और पुलिस को सूचना दी। जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और चोर को अरेस्ट कर लिया। पर इसी दौरान इंस्पेक्टर की वर्दी पहनकर अजय आ धमका और पुलिस के सामने चोर को पीटने लगा। अजय ने चोर को मौके से भगा दिया और तत्काल बाइक दौड़ाकर निकल गया। मौजूद पुलिसकर्मी उसे ताकते रहे। जब रतनीश ने पुलिस से इंस्पेक्टर के बारे में जानकारी की तो वह भी नहीं बता पाए। पुलिस को वर्दीधारी इंस्पेक्टर पर शक हुआ तो आनन-फानन में पुलिस ने उसकी पहचान के लिए काम शुरू कर दिया।
ऐसे लगा पुलिस के हत्थे
फर्जी इंस्पेक्टर के चोर को छुड़ा ले जाने के बाद पुलिस एक्शन में आई। एसपी साउथ अशोक कुमार ने मामले की जांच के लिए थानेदार मुरलीधरन पाण्डेय को लगाया। थानेदार पांडेय ने आरोपी की बाइक का नंबर खंगाला तो पता उन्नाव का निकला। थानेदार पांडेय ने गंगा घाट पुलिस की मदद से अजय सिंह को उसके घर से दबोच लिया। पुलिस की पूछताछ के दौरान फर्जी इन्स्पेक्टर अजय सिंह ने बताया कि मै पहले दरोगा की वर्दी पहन कर रौब गाठता था। 8 माह से मै इन्स्पेक्टर की वर्दी पहन कर घूम रहा हूं। आरोपी ने बताया कि अक्सर मूवी में फर्जी दरोगा बनकर वसूली करते है , मैंने सोचा यही तरीका कमाने का ठीक है और इसी के बाद वर्दी और पिस्टल खरीदी। कई युवकों को अपने गैंग में शामिल कर लोगों को वर्दी के बल पर ठगने लगा। एसपी साउथ अशोक कुमार के मुताबिक एक शख्स पकड़ा गया है ,जो वर्दी पहन कर वसूली करता था। बुधवार को जो घटना हुई थी वहां पर भी यह शख्स ने मारपीट की थी ।
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