कानपुर:- हार्ट, लंग्स की बीमारी या फिर हर्निया, हाइड्रोसील, पाइल्स है तो आप इंजीनियरिंग नहीं कर सकेंगे। यूपीएसईई ने अपने मेडिकल स्टैण्डर्ड में इन बीमारियों से ग्रसित अभ्यर्थियों को दाखिले के उपयुक्त नहीं माना है। ऐसे सभी अभ्यर्थी प्रवेश परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं लेकिन दाखिले से पहले उन्हें डॉक्टर का प्रमाणपत्र लगाना होगा।
अभ्यर्थी यहां देखें INFORMATION BROCHURE UPSEE – 2017
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एकेटीयू) से संबद्ध प्रदेश के सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में दाखिले के लिए 29 अप्रैल, 5 और 6 मई को यूपी स्टेट इंट्रेंस एग्जामिनेशन (यूपीएसईई) है। इसके लिए 23 जनवरी से ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया चल रही है जो 15 मार्च तक चलेगी। यूपीएसईई ने 2018 में जारी अपने ब्रोसर में मेडिकल स्टैण्डर्ड को भी वरीयता दी है। इसके तहत प्रवेश परीक्षा में क्वालीफाई करने वाले सभी अभ्यर्थियों को सरकारी अस्पताल के चिकित्सक का प्रमाणपत्र लगाना होगा।
अभ्यर्थियों को मेडिकल प्रमाणपत्र में हार्ट, लंग्स, विजन, हियरिंग के अलावा हर्निया, हाइड्रोसील और पाइल्स जैसी बीमारी के बारे में भी बताना होगा। अगर डॉक्टर ने प्रमाणपत्र पर इन बीमारियों का जिक्र किया तो उन्हें इंजीनियरिंग या अन्य पाठ्यक्रम में दाखिला नहीं मिलेगा। हालांकि छात्रों की समस्या को देखते हुए विश्वविद्यालय उन्हें दोबारा मेडिकल कराकर रिपोर्ट देने का मौका देगा। इसमें भी अगर बीमारी खत्म नहीं हुई तो छात्र को दाखिला नहीं मिल सकेगा।
मेडिकल सर्टिफिकेट देना जारूरी
यूपीएसईई-2018 के कोऑर्डिनेटर,डॉ. एके कटियार का कहना है कि प्रवेश परीक्षा के लिए सभी अभ्यर्थी आवेदन कर सकते हैं। परीक्षा में पास होने के बाद प्रवेश लेने से पहले छात्रों को मेडिकल सर्टिफिकेट देना होगा। अगर सर्टिफिकेट में नियम के अनुसार किसी बीमारी का जिक्र होता है तो उसे दोबारा एक मौका दिया जाएगा। फिर भी अगर डॉक्टर बीमारी का जिक्र करता है तो उसे नियमानुसार दाखिला नहीं मिलेगा।
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