कानपुर:- दुनिया भर में बढ़ते धार्मिक कट्टरवाद और हिंसा को रोकना है तो सूफिज्म को बढ़ावा देना होगा। सिर्फ सूफीवाद है जो दिलों में जगह बना सकता है। इस्लाम धर्म केवल मुसलमानों के लिए नहीं बल्कि वह पूरी मानवता के लिए है। इस्लाम में दहशतगर्दी की कोई गुंजाइश नहीं है। इस्लाम में बेगुनाहों के कत्ल को गुनाह माना गया है जिसकी कोई माफी नहीं है। सूफियों ने दुनिया को सुकून दिया है। अब दहशतगर्दों ने इसे छीन लिया है।
मकनपुर के तहसील असेंबली हाल में शुक्रवार को आयोजित इंटरनेशनल सूफी कांफ्रेंस में देश-दुनिया के आध्यात्मिक गुरू एकित्रत हुए। अमेरिका से लेकर अफगानिस्तान तक के आध्यात्मिक गुरुओं ने कहा कि इस्लाम को समझने की जरूरत है। जो लोग दहशतगर्दी कर रहे हैं उनका कोई ताअल्लुक इस्लाम से नहीं हो सकता। सरकार को चाहिए कि वह आतंकवाद से निपटने की नीति में सूफियों को भी शामिल करे।
अमेरिका से आए डा. केन राबिंस ने कहा कि दुनिया में धार्मिक कट्टरवाद बढ़ता जा रहा है। इसे रोकने के लिए सूफिज्म को बढ़ावा देना होगा। जर्मन की डा. उत्ते फ्लाश ने कहा कि इस्लाम को जो दिल-ए-दिमाग से मानता है वह कभी बेगुनाह की जान नहीं ले सकता। आस्तानों और दरगाहों में गरीब वर्ग आता है जिसका ख्याल रखने की जरूरत है। हमें यह बात बताने की जरूरत है कि इस्लाम इंसानियत का धर्म है। दक्षिण अफ्रीका से आए हसन मियां जेथम ने कहा कि सूफियों ने दुनिया को सुकून दिया। दहशतगर्दों ने इसे छीन लिया। अफगानिस्तान के सूफी जरीफ चिश्ती ने सूफीवाद की बारीकियां बताईं। इरान से आए गौस अली ने कहा कि दुनिया को अमन की जरूरत है। उन्होंने कैलीग्राफी प्रदर्शनी भी लगाई।
मोहब्बत से होगा अमन
कश्मीर से आए डा. फारुक रेंजू ने कहा कि अमन का एक रास्ता मोहब्बत भी है। इस हथियार को अपनाने से दूरियां खत्म होंगी। मैनेजमेंट गुरु डा. मजहर अब्बास नकवी ने कहा कि मकनपुर को सूफी सर्किल में शामिल किया जाए। उन्होंने कहा कि मकनपुर हिंदू-मुस्लिम एकता का केंद्र है। फकीर, संयासी ही निस्वार्थ भाव से अमन का पैगाम दे सकते हैं। दरगाह निजामुद्दीन के अजमल निजामी ने कहा कि सूफियों एनसीईआरटी अपनी किताबों में शामिल करे। सुन्नी उलमा काउंसिल के महामंत्री हाजी मोहम्मद सलीस ने कहा कि वलियों के आस्तानों से हमेशा इंसानियत, प्यार और मोहब्बत का पैगाम मिलता रहा है।
मैं-तू खत्म हो तो लौटे सुकून
चेन्नई से आये स्वामी हरि प्रसाद ने मदारियां सिलसिले के मूलमंत्र इश्क और फना को जरुरी मानते हुए कहा कि जबतक लोगो में मैं और तू की भावना रहेगी तब तक लोग परेशान रहेंगे। मौलाना कल्बे जव्वाद, सज्जादानशीन सैय्यद महजर अली, शजर अली मदारी, हसनैन, शब्बन, शबाना खान ने भी अपने ख्यालात का इजहार किया। इससे पहले उर्स पर मदारिया सिलसिले की रस्मों को अदा किया गया। धन्यवाद मदारिया सूफी फाउंडेशन के मोहम्मद समीर मदारवी ने दिया। संचालन प्रोफेसर एमए नकवी ने किया।
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