कानपुर:- भइया घोर कलयुग है। लोगो को कहते सुना वो फर्जी पत्रकार है पर अब तो शहर में फर्जी इंस्पेक्टर भी घूम रहे है। अतः जब भी खाकी वर्दी पहने किसी को देखे तो उसके रौब में न आए पहले उसका कार्ड चेक करें फिर ही विश्वास करें।क्यो कि जब ये फर्जी वर्दी वाले इंस्पेक्टर पुलिस को बेवकूफ बना सकते है तो फिर आम जनता की क्या हैसियत।
अब आपको बताते है कि क्या है माजरा-
खाकी वर्दी, नेम प्लेट, पहचानपत्र के साथ पिस्टल और वाकीटाकी के बाद कोई कैसे पहचान सकता है कि वह फर्जी इंस्पेक्टर होगा, खुद पुलिस वाले धोखा खा गए और वह उनके ऊपर रौब गांठता रहा। गुरुवार सुबह उन्नाव के गंगाघाट और कानपुर के बाबूपुरवा थाने की पुलिस ने उसे पकड़ा तो खुद पुलिसवाले चौंक गए।
आगरा के हरि पर्वत थाना क्षेत्र का रहने वाला अजय सिंह खाकी वर्दी की आड़ में न केवल वसूली कर रहा था बल्कि रात में लुटेरों का साथ देता था। कानपुर के बाबूपुरवा क्षेत्र में लूट के एक मामले में यहां की पुलिस को उसकी तलाश थी लेकिन तब यह नहीं पता था कि लुटेरा उन्नाव के गंगाघाट में इंस्पेक्टर बन कर रह रहा है। बाबूपुरवा पुलिस ने गंगाघाट पुलिस के संपर्क किया और गुरुवार तड़के उसको गांधीनगर से दबोच लिया। पकड़े जाने के बाद खुद पुलिस वालों ने बताया कि वह इनोवा और महंगी बाइक से घूमता था, महंगी शराब पीता था औऱ सिपाहियों पर रौब गांठता था। तलाशी में उसके कमरे से खाकी वर्दी, नेम प्लेट, परिचयपत्र, पिस्टल और वॉकी टॉकी मिला।
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