Latest News

रविवार, 4 फ़रवरी 2018

#कानपुर CGST मुख्यालय में हर शुक्रवार को लगती थी घूस की पाठशाला।


कानपुर:-घूस की कमाई का नशा कमिश्नर संसारचंद के सिर पर इस कदर चढ़ गया था कि उसे किसी का खौफ नहीं रह गया था। किस कारोबारी से कितनी घूस आ रही है। कौन कम घूस दे रहा है और काली कमाई के नए रास्ते क्या हो सकते हैं, इसकी हर हफ्ते पाठशाला लगती थी। इसमें संसारचंद और खास सुपरिटेंडेंट ही मौजूद होते थे। यह पाठशाला कहीं और नहीं बल्कि जीएसटी कमिश्नर मुख्यालय में ही लगती थी।


 हर हफ्ते शुक्रवार को संसारचंद अपने तीनों खास सुपरिटेंडेंट अजय श्रीवास्तव, अमन शाह और आरएस चंदेल के साथ बैठता था, जिसमें रिश्वत की कमाई का लेखा-जोखा पेश किया जाता था। इसमें हर कारोबारी से मिली घूस का ब्योरा न सिर्फ पेश किया जाता था बल्कि काली कमाई के नए रास्तों पर भी चर्चा की जाती थी। नंबर दो का काम करने वाले कारोबारियों की पूरी सूची बनाई गई थी। उनके कामकाज की रेकी का प्लान भी इसी पाठशाला में बनता था। किससे ज्यादा वसूली की जा सकती है, इसकी अलग से रणनीति बनाई जाती थी।

छापे न मारने के लिए प्रोटेक्शन मनी

रिश्वत की रकम एक साथ एकत्र न हो, इसके लिए अलग-अलग तारीखों पर पैसा लिया जाता था। ये पेमेंट 15 दिन और 30 दिन में बंटे थे। सेंट्रल एक्साइज के छापे न मारने के एवज में भी शहर के कारोबारियों से पैसा लिया जाता था, जिसे कोडवर्ड में ‘प्रोटेक्शन मनी’ का नाम दिया गया था। छापे न मारने पर किस कारोबारी से कितनी घूस लेनी है, इसकी पड़ताल का जिम्मा तीनों सुपरिटेंडेंट अफसरों का था। ये अफसर उस कारोबारी की माली हैसियत की जांच करते थे। कितनी टैक्स चोरी कर रहे हैं, इसकी रिपोर्ट बनाते थे और कमिश्नर को सौंपते थे। तब कर चोरी के आधार पर तय होता था कि किससे कितनी घूस लेनी है। यानी बड़ी टैक्स चोरी के एवज में बड़ी घूस। इतना ही नहीं, छोटी-मोटी टैक्स चोरी में ये अधिकारी महंगे आई फोन, स्मार्ट टीवी और फ्रिज भी घूस के तौर पर लेते थे।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें


Created By :- KT Vision