कानपुर 14 अप्रैल 2018. ‘बेईमानों को छोड़ दो और कलम पकड़ कर तोड़ दो’ ये है उत्तर प्रदेश पुलिस का नया स्लोगन। जी हां आपने बिलकुल सही पढा है, और हैरान तो आप बिलकुल मत होना क्योंकि पुलिस तो वही कर रही है जिसके लिये उसको बनाया गया था। अंग्रेजों ने पुलिस बल की स्थापना भारतीय जनता पर जुल्म करने और उसको काबू में रखने के लिये की थी और 200 साल बीतने के बाद आज भी पुलिस वही कर रही है।
बताते चलें कि मामला बाबू पुरवा थानाक्षेत्र स्थित झकरकटी बस स्टैंड का है जहां इन दिनों रोडवेज़ अधिकारी, कर्मचारी, चालक, परिचालक, यहां तक कि खानपान की दुकान वाले सभी बस स्टैंड परिसर में लूट मचाये हैं। अवैध लोडिंग द्वारा परिचालक बसों को भैंसा ठेला बनाये हैं। ऐसा नहीं की इसकी जानकारी ए.आर.एम साहब को नहीं है, पर इन सब कामों में कहीं न कहीं वो भी संलिप्त हैं। इस सबकी जानकारी होने पर पत्रकार मोहित पांडेय ने इसे प्रमुखता से छापा और इसकी जानकारी ए.आर.एम राजीव कटियार को देते हुए कुछ सवाल पूछ लिये, तो खिसियाये बैठे यातायात अधीक्षक सुरेश चंद शंखवार ने पत्रकार मोहित पांडेय को गरियाते हुए उन्हें मारा पीटा और उनका कैमरा तोड़ दिया। वहां बैठे ए.आर.एम साहब सब तमाशा चुपचाप देखते रहे।
पीड़ित पत्रकार ने जब इसकी शिकायत स्थानीय थाने और IGRS पर की तो इसकी जांच का जिम्मा ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इन्चार्ज फहीम खान को मिला। फहीम खान ने सबूतों को दरकिनार कर मामले की निष्पक्ष जांच किये बिना उल्टा पत्रकार को 107/116 में पाबद्ध कर दिया। पत्रकार मोहित पांडेय ने बताया कि उन्होंने दरोगा फहीम खान को मोबाइल के माध्यम से अवैध लोडिंग के सारे वीडीओ फुटेज उपलब्ध कराये थे पर दरोगा जी ने पत्रकार की कलम को कुचलने के उद्देश्य से मामले में उलटी रिपोर्ट लगा दी। अब पीडित पत्रकार ने एडीजी कानपुर जोन से न्याय हेतु गुहार लगाई है। देखते हैं कि एडीजी साहब सच का साथ देते हैं या अपने दरोगा को संरक्षण प्रदान करते हैं।
ताजा मामला कानपुर के बाबूपुरवा थाने का है, यहां एक पत्रकार ने जब झकरकटी रोडवेज बस स्टेशन में जारी बेईमानी और भ्रष्टाचार की पोल खोलनी शुरू की तो कुछ रोडवेज कर्मचारियों ने उसके साथ मारपीट कर दी। पत्रकार ने मामले की शिकायत स्थानीय थाने और आईजीआरएस पोर्टल पर की। लेकिन थाना बाबूपुरवा की चौकी ट्रान्सपोर्ट नगर के प्रभारी दरोगा फहीम खान ने उलटा पीडित पत्रकार के खिलाफ 107/116 की कार्यवाही कर दी और उसे ही पाबद्ध कर दिया, कि भाई पत्रकार तुम बेईमानों और भष्टाचारियों का खुलासा बिलकुल न करो, क्योंकि पुलिस उनकी रक्षा में पूरी शिद्दत से चाक चौबंद हो कर तैनात है।
बताते चलें कि मामला बाबू पुरवा थानाक्षेत्र स्थित झकरकटी बस स्टैंड का है जहां इन दिनों रोडवेज़ अधिकारी, कर्मचारी, चालक, परिचालक, यहां तक कि खानपान की दुकान वाले सभी बस स्टैंड परिसर में लूट मचाये हैं। अवैध लोडिंग द्वारा परिचालक बसों को भैंसा ठेला बनाये हैं। ऐसा नहीं की इसकी जानकारी ए.आर.एम साहब को नहीं है, पर इन सब कामों में कहीं न कहीं वो भी संलिप्त हैं। इस सबकी जानकारी होने पर पत्रकार मोहित पांडेय ने इसे प्रमुखता से छापा और इसकी जानकारी ए.आर.एम राजीव कटियार को देते हुए कुछ सवाल पूछ लिये, तो खिसियाये बैठे यातायात अधीक्षक सुरेश चंद शंखवार ने पत्रकार मोहित पांडेय को गरियाते हुए उन्हें मारा पीटा और उनका कैमरा तोड़ दिया। वहां बैठे ए.आर.एम साहब सब तमाशा चुपचाप देखते रहे।
पीड़ित पत्रकार ने जब इसकी शिकायत स्थानीय थाने और IGRS पर की तो इसकी जांच का जिम्मा ट्रांसपोर्ट नगर चौकी इन्चार्ज फहीम खान को मिला। फहीम खान ने सबूतों को दरकिनार कर मामले की निष्पक्ष जांच किये बिना उल्टा पत्रकार को 107/116 में पाबद्ध कर दिया। पत्रकार मोहित पांडेय ने बताया कि उन्होंने दरोगा फहीम खान को मोबाइल के माध्यम से अवैध लोडिंग के सारे वीडीओ फुटेज उपलब्ध कराये थे पर दरोगा जी ने पत्रकार की कलम को कुचलने के उद्देश्य से मामले में उलटी रिपोर्ट लगा दी। अब पीडित पत्रकार ने एडीजी कानपुर जोन से न्याय हेतु गुहार लगाई है। देखते हैं कि एडीजी साहब सच का साथ देते हैं या अपने दरोगा को संरक्षण प्रदान करते हैं।
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