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शुक्रवार, 12 अक्तूबर 2018

१८१३ में बने जीआईसी ब्याज में गोष्ठी आज जिलाधिकारी ने संभाली कमान, किया आज निरीक्षण।#Public statement



बिष्णू चंसौलिया की रिपोर्ट:

जिला विद्यालय निरीक्षक से लेकर जीआईसी स्टाफ ने इतिहास रचने के लिए लगाई पूरी ताकत
उरई। दो सौ साल पूर्व बना मुख्यालय पर जीआईसी ब्याज जिसकी पुराना भवन जहां लोगो के अध्ययन करके देश के विभिन्न-विभिन्न क्षेत्रो में अपना योगदान दिया है, अब वों इसको उभारने के लिए कर्णधार बनेंगे और जिसकी कमान स्वयं जिलाधिकारी डा.मन्नान अख्तर ने संभाली। वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक से लेकर जीआईसी स्टाफ ने इसके इतिहास को रचने के लिए पूरी ताकत लगाई।
आज जिलाधिकारी डा.मन्नान अख्तर ने मुख्यालय के करमेर रोड पर स्थित राजकीय इंटर कालेज ब्यायज जिसकी आधारशिला बिट्रिशकाल में आजादी के पहले १८१३ मे रखी गई थी और दो सौ वर्षो में हजारो की संख्या में इस विद्यालय से कई छात्र-छात्राओं ने अपना नाम रोशन किया। वहीं आज पूर्व छात्रों के गठन को लेकर एक गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है जिसकी रूपरेखा तय हो गई और राजकीय इं.कालेज के प्रांगण से लेकर सभागार का निरीक्षण जिलाधिकारी ने करते हुए इसे सफल बनाने के लिए अपना पूरा योगदान देने का आश्वासन दिया। वहीं जिला विद्यालय निरीक्षक भगवत पटेल ने बताया कि जनपद का सबसे पुराना गौरवशाली राजकीय इंटर कालेज के भविष्य को लेकर एक मार्डन जिलाधिकारी के निर्देशन में तैयार करने के प्रयास हो रहें है इसी को लेकर पूर्व छात्रों की बैठके आयोजित की गई और इसको व्यापक रूप देने के लिए १३ अक्टूबर को इसी विद्यालय के प्रांगण में भव्य सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है उसमें दूर-दराज में भारतीय सेवा से लेकर विदेशो में दे रहे अपना योगदान जो कि इसी विद्यालय के छात्र रहें है वों भी आने की अपनी स्वीक्रति दे चुकें है और इस सम्मेलन के दौरान यह तय हो जायेगा कि आगे विद्यालय को चार चांद लगाने के लिए कौन-कौन सी वैकल्पिक व्यवस्थाएं तलाशी जाये जिससे विद्यालय की जो दुर्गति आज हो रही है उसको संभाला जा सकें। चूंकि इस विद्यालय को २ सौ साल पूरे हो चुकें है और आज भी इमारत खड़ी हुई है। दो सौ साल से इस विद्यालय में शिक्षा लेने वाले छात्र-छात्रायें जो आईएएस, आईपीएस जैसी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होते रहें है और वों अपना सेवाकाल भी पूरा कर चुकें है, परंतु उनके अंदर इस विद्यालय में कुछ योगदान देने की चाहत जगी है और इस चाहत को व्यापक रूप देने के लिए जिला विद्यालय निरीक्षक ने जिस तरह से अभियान छेड़ दिया गया है लगभग दो सैकडा से अधिक पूर्व छात्रों से उन्होने कांटेक्ट कर सम्मेलन का उददेश्य बताया सभी पुरातन छात्रों ने अपनी स्वीक्रति प्रदान की। जब से यहा पर छात्र-छात्राएं पढे है तब से उनके सारे रिकार्ड खंगाले जा रहें है। इस विद्यालय का क्या इतिहास रहा और क्या विशेषताएं थी इसको लेकर विद्यालय में एक सेमिनार का आयोजन १३ अक्टूबर को किया जायेगा। निश्चित रूप से यह एक अच्छी पहल है और विद्यालय के प्रधानाचार्य राजकुमार तिवारी एवं उनके सहयोगियों द्वारा इसकी तैयारियां प्रारंभ भी कर दी गई है। रिकार्ड को सुरक्षित करने के लिए अभी से वहां के कर्मचारी लग गए है। इस मुहिम से लोगो में एक अलग ही उमंग दिख रही है और निश्चित रूप से यह उमंग प्रदेश के लिए एक प्रेरणा बनेंगा और आने वाले समय में इस विद्यालय का जो भविष्य सुधरेंगा उससे लोग शिक्षा लेंगे। हालांकि जो पूर्व में यहां पर अध्यापक रहें है वों भी किसी समय इस विद्यालय के छात्र रहें। उन्होंने भी अपना योगदान देने की बात कहीं यह एक शिक्षा के जगह में आधुनिक मॉडल बनकर तैयार होगा। वहीं जिलाधिकारी डा.मन्नान अख्तर ने भी इस विद्यालय को बनाने के लिए जो भी योगदान शासन-प्रशासन या अन्य सहयोग से हो सकता है उसे पूरा करने के लिए आश्वासन दिया है। प्रशासन के इस कदम से जहां 2 सौ वर्ष पुराने विद्यालय को एक गति मिलेंगी वहीं शिक्षा के बढ़ते व्यवसायीकरण पर रोक लगेगी। साथ ही लोगो को समझ में आयेगा कि अगर शिक्षा के मंदिर को सुधारा जा सकता है तो शिक्षा में हो रहीं गिरावट पर भी अंकुश लगाया जा सकता है। निरीक्षण में डीआईओएस भगवत पटेल, हरीमोहन पुरवार पूर्व छात्र जीआईसी, प्रधानाचार्य राजकुमार तिवारी आदि उपस्थित रहें।

फोटो परिचय:- व्यवस्थाओं का निरीक्षण करते जिलाधिकारी डा.मन्नान अख्तर।

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