दिनांक 26-10-18
कानपुर: सरकारी प्रमाण पत्र को चिकित्सकों द्वारा चंद पैसों से बनवा कर अपराधी व्यक्ति उसे प्राप्त करके राजकीय धन का गबन कर रहा है हम आपको बता देना चाहते हैं एक ऐसा ही मुद्दा जो हमारे सामने देखने को आया है जिसमें व्यक्ति ने चिकित्सक सीएमओ साहब डॉ अवतार सिंह द्वारा एक फर्जी विकलांग सर्टिफिकेट गिरीश चंद नाम का बनवा रखा है लेकिन हम आपको बताते चलें कि यह व्यक्ति पूर्ण रूप से विकलांग नहीं है लेकिन विकलांग सर्टिफिकेट में दिनांक 20 .9.16 को अधिकारियों की मिलीभगत से एक विकलांग सर्टिफिकेट जारी करवाया था
जिसके हिसाब से गिरीश चंद्र 60% विकलांग है एवं चलने फिरने में असमर्थ हैं यह साबित होता है परंतु वह मोटरसाइकिल चलाने व अन्य सभी कार्य कर सकने में सक्षम हैं जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग हमारे पास मुख्य रूप से हैं लेकिन यह सर्टिफिकेट सरकार व्यक्ति को तब घोषित करती हैं जब सरकारी चिकित्सक द्वारा व्यक्ति विकलांग घोषित हो और वह मुख्य रूप से शरीर के किसी भी अंग से लाचार हो पर उस व्यक्ति का भी सर्टिफिकेट बड़ी मुश्किल से 60% का बन पाता है
लेकिन यहां पर तो सब उल्टा है जो व्यक्ति सभी कार्यों को करने में सक्षम है खुद का व्यवसाय भी करता है उसका भी विकलांग सर्टिफिकेट जारी किया गया है जो कि देश हित में अपराध है गिरीश चंद्र व रमेश चंद्र दोनों अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिनका मुख्य पेशा धोखाधड़ी है जो कि पूर्व में पिता एवं पुत्र दोनों ही जेल जा चुके हैं वर्ष 2016 में गिरीश चंद्र शुक्ला ने चिकित्सकों से सांठगांठ करके अपना 60% का विकलांग प्रमाण पत्र बनवा लिया था जिसका प्रयोग व विभिन्न राजकीय योजनाओं में लाभ प्राप्त करने की नियत से उसका दुरुपयोग कर रहा है जो राज्य के प्रति अपराध है
लेकिन महोदय आपको यह अवगत कराना आवश्यक है कि गिरीश चंद्र शुक्ला विकलांग नहीं है इन्होंने कुछ रसूखदार लोगों से व चिकित्सकों की मिलीभगत से विकलांग सर्टिफिकेट जारी करवाया। राजकीय योजनाओं का लाभ लेने की नियत से यह कार्य किया जिसकी शिकायत जिलाधिकारी महोदय कानपुर निदेशक दिव्यांगजन सशक्ति करण निदेशालय लखनऊ को जा चुकी हैं जिसकी अभी तक कोई जांच-पड़ताल नहीं हुई है योगी सरकार को इस मुद्दे को गहन रूप से जांच में रखकर यह विकलांग प्रमाण पत्र केवल उस व्यक्ति को जारी करना चाहिए जिसकी मेडिकल रिपोर्ट द्वारा साबित हो कि वह विकलांग है ऐसे फर्जी व्यक्तियों पर सरकारी नियमों का उल्लंघन करने वालों व उसका दुरुपयोग करने वालों के कारण वह सजा का भागीदार हैं
जिसके हिसाब से गिरीश चंद्र 60% विकलांग है एवं चलने फिरने में असमर्थ हैं यह साबित होता है परंतु वह मोटरसाइकिल चलाने व अन्य सभी कार्य कर सकने में सक्षम हैं जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग हमारे पास मुख्य रूप से हैं लेकिन यह सर्टिफिकेट सरकार व्यक्ति को तब घोषित करती हैं जब सरकारी चिकित्सक द्वारा व्यक्ति विकलांग घोषित हो और वह मुख्य रूप से शरीर के किसी भी अंग से लाचार हो पर उस व्यक्ति का भी सर्टिफिकेट बड़ी मुश्किल से 60% का बन पाता है
लेकिन यहां पर तो सब उल्टा है जो व्यक्ति सभी कार्यों को करने में सक्षम है खुद का व्यवसाय भी करता है उसका भी विकलांग सर्टिफिकेट जारी किया गया है जो कि देश हित में अपराध है गिरीश चंद्र व रमेश चंद्र दोनों अपराधी प्रवृत्ति के व्यक्ति हैं जिनका मुख्य पेशा धोखाधड़ी है जो कि पूर्व में पिता एवं पुत्र दोनों ही जेल जा चुके हैं वर्ष 2016 में गिरीश चंद्र शुक्ला ने चिकित्सकों से सांठगांठ करके अपना 60% का विकलांग प्रमाण पत्र बनवा लिया था जिसका प्रयोग व विभिन्न राजकीय योजनाओं में लाभ प्राप्त करने की नियत से उसका दुरुपयोग कर रहा है जो राज्य के प्रति अपराध है
लेकिन महोदय आपको यह अवगत कराना आवश्यक है कि गिरीश चंद्र शुक्ला विकलांग नहीं है इन्होंने कुछ रसूखदार लोगों से व चिकित्सकों की मिलीभगत से विकलांग सर्टिफिकेट जारी करवाया। राजकीय योजनाओं का लाभ लेने की नियत से यह कार्य किया जिसकी शिकायत जिलाधिकारी महोदय कानपुर निदेशक दिव्यांगजन सशक्ति करण निदेशालय लखनऊ को जा चुकी हैं जिसकी अभी तक कोई जांच-पड़ताल नहीं हुई है योगी सरकार को इस मुद्दे को गहन रूप से जांच में रखकर यह विकलांग प्रमाण पत्र केवल उस व्यक्ति को जारी करना चाहिए जिसकी मेडिकल रिपोर्ट द्वारा साबित हो कि वह विकलांग है ऐसे फर्जी व्यक्तियों पर सरकारी नियमों का उल्लंघन करने वालों व उसका दुरुपयोग करने वालों के कारण वह सजा का भागीदार हैं
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