शुभांकर तिवारी की रिपोर्ट:
लोध और कुर्मी बिरादरी की अनदेखी से भाजपा को हो सकता है नुकसान।
कहा जाता है कि किसी भी राजनीति पार्टी को अगर दिल्ली की सत्ता हासिल करनी तो उत्तर प्रदेश में उस पार्टी कोअधिक सीटे जीतनी होगी या यह कहा जाये दिल्ली का रास्ता यूपी से हो कर जाता है तो भी कहना गलत नही होगा और इस समय भाजपा ने दलित कार्ड खेल कर दलित वोट बैंक को अपने पक्ष में करने की भरपूर कोशिश कर रही है और शायद भारतीय जनता पार्टी इसमें सफल भी हो जाये लेकिन राजनीत गलियारों से बात निकल आ रही कि यह दलित प्रेम अगामी चुनाव में भाजपा को कुछ नुकसान पहुंचा सकता है क्यों की भारतीय जनता पार्टी एक हिंदुत्व वादी विचारधारा वाली पार्टी मानी जाती है और हिंदुत्व की छवि अति पिछड़े वर्ग के नेताओ की वजह से ही हासिल हो पायी जिसमे लोध और कुर्मी बिरादरी के नेताओ का अधिक योगदान था और यही कारण था कि कुर्मी बिरादरी को साधने के लिए इतनी प्रचंड मोदी लहर होने के बाद भी अपना दल (एस) से गठबंधन करना पड़ा और मंत्रीमंडल में जगह देनी पड़ी थी और दूसरी ओर लोध बिरादरी को साधने के लिए पार्टी से अलग हो चुके पुराने नेताओ को बुलाकर लोकसभा चुनाव की टिकट देनी पड़ी क्यों की पार्टी ने हिंदुत्व वाली छवि अति पिछड़े वर्ग के द्वारा ही हासिल की है जिसमे जानकारी आ रही अबकी बार भारतीय जनता पार्टी पिछड़े वर्ग से सम्बन्ध रखने वाले कुछ सांसदों के टिकट काटना चाहती है और वह मौजूदा स्थिति में अपनी बिरादरी में अच्छी पकड़ रखते है और उनको पुनः टिकट न देने पर पार्टी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है । 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने विकास के बल पर लड़ा था और अगामी लोकसभा में भाजपा ने पहले से ही जाति कार्ड खेल दिया जिसमें यह स्पष्ट हो चुका है कि विकास से साथ जातिवाद भी एक चुनावी फैक्टर होगा।
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