शावेज़ आलम की रिपोर्ट
मेरठ के हाशिमपुरा कांड में 2 मई 1987 को 42 युवकों की हत्या के मामले में सभी 16 पीएसी जवानों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. दिल्ली हाइकोर्ट ने सभी को हत्या, अपहरण,साक्ष्यों को मिटाने का दोषी मानते हुए सजा सुनाई है और तीसहजारी कोर्ट के फैसले को पलट दिया है. दरअसल दिल्ली की तीस हज़ारी कोर्ट ने साल 2015 में आरोपी में सभी 19 PAC जवानों को बरी कर दिया गया था. जिसमे तीन की मौत हो चुकी है. गौरतलब है कि दिल्ली हाईकोर्ट में मारे गए मुस्लिम युवकों के परिवारों की तरफ से, उत्तर प्रदेश सरकार और अन्य के तरफ याचिका दायर की गयी थी.
आपको बता दें कि साल 1987 में रिजर्व पुलिस बल प्रोविंशियल आर्म्ड कॉन्स्टेबुलरी (PAC) के जवानों ने 42 मुस्लिम युवकों को कथित तौर पर उनके घरों से उठाया और पास ही ले जाकर उनकी हत्या कर दी. 28 साल के बाद 2015 में दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट ने इस मामले पर फैसला आया था, लेकिन इतने लंबे समय बीत जाने के बाद दिल्ली की निचली अदालत ने इस मामले में सभी 19 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया था. अब हाईकोर्ट ने फैसले को पलट दिया है. आपको बता दें सबसे पहले ये मामला उत्तर प्रदेश के ग़ाज़ियाबाद में चल रहा था लेकिन सुनवाई में देरी की वजह से मारे गए लोगों के परिजनों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जिसके बाद सुप्रीम दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट में मामला ट्रांसफर हो गया था
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