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मंगलवार, 13 नवंबर 2018

चिटफंड कंपनियों का शिकार हुए पीड़ित सड़को पर उतरने को तैयार - जंतर मंतर पर करेंगे भूख हड़ताल








जब भी चुनावी बिगुल फूंका जाता है वोटरों को लुभाने के लिए मनपसन्द पिटारों की टोकरी लेकर नेता गण प्रकट हो जाते है और लम्बा चौड़ा घोषणा पत्र तैयार किया जाता है इस बार के लोकसभा चुनाव में चिटफंड कंपनियां एक अहम मुद्दे के रूप में सामने आने वाला है जो चर्चा का केंद्र बन सकता है चिटफंड कंपनी में निवेशकों के डूबे करोड़ो रु0 वापस दिलाने का मुद्दा।बनाकर कांग्रेस व अन्य दल लोगो के समक्ष पहुच रहे है कहा जा रहा है अगर हमारी सरकार आई तो निवेशकों के डूबे पैसे दिलाए जाएंगे सुनकर अटपटा सा लग  रहा है क्या राजनीति की भट्टी में रोटियां सेंकने वाले नेताओं पर भरोसा किया जा सकता है लोग सोचने पर मजबूर है पहले चिटफंड कम्पनी ने सुहावने सपने दिखाकर लूटा अब पार्टिया भी वोट बटोरने के लालच झुठे वादे करने पर तो नही लगी है इन्ही जाल साजियो से तंग आकर निवेशकों ने अपनी लड़ाई खुद लड़ने की ठानी है


भारतीय निवेशक सुरक्षा मंच के बैनर तले बाहर निकलो मकानों से जंग लड़ो बेईमानो से नारे के साथ पीड़ित निवेशको ने ठगबाज चिटफंड कम्पनियो के खिलाफ बिगुल फूक दिया है देश के करोड़ो निवेशको के खून पसीने से कमाए हुए पैसो को डकार कर फरार हुई कम्पनियो के ख़िलाफ़ निवेशको ने आमने सामने की लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है भारतीय निवेशक सुरक्षा मंच के प्रदेश प्रभारी विकास त्रिपाठी का कहना है पिछले कई सालों से हम लोगो ने चिटफंड द्वारा लूटी गई अपनी जमापूंजी पाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया है लेकिन हमारे हाथ निराशा ही लगी फरार हुई पर्ल्स कम्पनी से देश के 70 लाख एजेंट व 6 करोड़ से भी ज्यादा ग्राहकों के परिवार का भविष्य जुड़ा होने के बावजूद सरकार ने अभी तक कोई ठोस निर्णय नही लिए जिससे पीड़ित चैन की सांस ले सके


 सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में सरकार को आदेश दिया था कि चिटफंड कम्पनियो की जब्त की गई संपत्तियों को बेचकर निवेशको का भुगतान किया जाए लेकिन सुस्त (सेबी) द्वारा किया गया कार्य ना होने के बराबर है चिटफंड देश मे पर्ल्स साई प्रसाद व अन्य कम्पनियो के निवेशक भी इसी अन्याय का दंश झेल रहे है 20 से 25 साल तक लोगो ने कम्पनी में कार्य किया आज सभी आर्थिक मानसिक प्रताड़ना झेलने पर विवश है सरकार की चुप्पी की वजह से इन सबको जनता के समक्ष गलत साबित हुआ पड़ रहा है उन कम्पनियो के एजेंतो व निवेशको का क्या दोष है जो खुद को साबित करने के लिए सड़कों पर आंदोलन कर रहे है बावजूद इसके देश के वर्तमान सत्ता नेता चुप्पी साधे बैठे है क्योंकि सभी जानते है हमारी लड़ाई गलत नही है अगर सही से जाँच की जाए तो घोटाले में शामिल कई बड़े सफेदपोशो के चेहरे निकलकर सामने आ सकते है जो कई पर्दो के पीछे छिपे है


विकास त्रिपाठी का कहना है ये हर उस व्यक्ति की लड़ाई है जो चिटफंड ठगी का शिकार हुआ है इसलिए निवेशक ग्राहक व एजेंट सब मिलकर लड़ रहे है हमे किसी राजनैतिक पार्टी की जरूरत नही है हमारा आंदोलन समय के साथ उग्र होता जाएगा 25 नवम्बर को लाखों पीड़ित दिल्ली कूच करेंगे 26 नवम्बर को श्री महेंद्र पाल की अगुवाई में लाखों निवेशक जंतर मंतर में भूख हड़ताल कर सरकार से चुनाव से पहले हमारा पैसा वापस दिलाने की माँग करेंगे अगर सरकार ने हमारी मांगे नही पूरी की तो निवेशक देश भर में आंदोलन करेंगे और इसका खामियाजा सरकार को आने वाले चुनाव में भुगतना पड़ सकता है

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