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सोमवार, 12 नवंबर 2018

जमीअत उलेमा कानपुर ने पानी बचाओ मुहिम कि शुरूआत की।#Public statement


शावेज़ आलम कि रिपोर्ट 

कानपुरः  माहे रबीउल अव्वल हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म का महीना है। जमीअत उलेमा इस महीने को माहे रहमते आलम के रूप में मना रही है, हज़रत मुहम्मद स.अ.व. ने पानी बचाने पर बहुत ज़ोर दिया है, इसी पवित्र संदेश को आम करने के लिए आज जामा मस्जिद अशरफ आबाद से जल संरक्षण अभियान(पानी बचाओ मुहिम) की शुरुआत की गई जिसमें बड़ी संख्या में अशरफाबाद जाजमऊ के लोगों के साथ ही जामिया महमूदिया अशरफुल उलूम के शिक्षकों व छात्रों ने भाग लिया।

रैली को संबोधित करते हुए मौलाना ने कहा कि पानी एक नेमत (वरदान) है जिसे हम बचाएंगे तभी हमारी भविष्य की पीढ़ियां उपयोग कर सकेंगी। “जल ही जीवन है,“ हम हमेशा सुनते रहते हैं, लेकिन हम मानते कितना हैं? क्या पानी की रक्षा भी अपनी बहुमूल्य वस्तुओं की तरह करते हैं? क्या हम इसे भी उतना ही महत्व देते हैं जितना पैसों को देते हैं? हम सभी जानते हैं कि पानी के बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। लेकिन अभी भी लोग इसे फुजूल खर्च कर देते हैं। यह सच है कि पृथ्वी पर 70 प्रतिशत भाग पर पानी है, लेकिन यह भी सच है कि इसमें केवल 1-2 प्रतिषत ही उपयोग करने लायक है। हमें पानी बहुत बचाकर रखने की जरूरत है, नहीं तो वह दिन दूर नहीं जब एक-एक बूंद पानी के लिए तरसेंगे।

इस समय पूरी दुनिया में पानी बहुत बड़ा मुद्दा बना हुआ है, कहीं लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा यदि किसी के पास अपना पानी है, तो वे बहा रहे हैं। माहे रहमते आलम रबीउल अव्वल हुजूर स0अ0व0 के पवित्र जन्म का महीना है, हज़रत मुहम्मद स.अ.व. ने पानी बचाने के लिए यहां तक कहा है कि अगर वुजू का भी पानी का उपयोग करें तो आवष्यकतानुसार ही करें, इसमें भी अधिक बहाने से मना किया है। पानी का महत्व जानना है तो फिर उन क्षेत्रों के लोगों से पूछें जहां लोग मीलों चलकर पानी लेने के लिए जाते हैं। इसलिए अगर हमें अपने क्षेत्रों में पानी मिलता है, तो यह खुदा की एक बड़ी नेमत(वरदान) है, इसे बचाएं और कद्र करें, इसे बर्बाद होने से बचाएं।

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