विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट
उरई (जालौन)। बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी झांसी से संबद्ध लल्ला सिंह महाविद्यालय बरहा जालौन द्वारा फेलियर छात्रों से जबरन शुल्क वसूली के साथ ही महाविद्यालय में कक्षाओं का संचालन न कराने, विद्यालयी स्टाफ के नाम पर फर्जीबाडे़ की शिकायत विगत दिवस उच्च शिक्षा आयोग लखनऊ सहित अनेकों शासन के अधिकारियों के पास भेजी गयी थी। जिसका संज्ञान लेते हुये मामले की जांच यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रर को प्रेषित की गयी है। इसकी भनक जैसे ही महाविद्यालय में कथित तरीके से जिम्मेदारियों का निर्वहन करने वाले कर्मियों में हड़कंप मचा हुआ हैं।
उल्लेखनीय हो कि उरई-कोंच रोड पर लल्ला सिंह महाविद्यालय बरहा के नाम से मुख्य सड़क से दो किमी की दूरी पर खेतों के बीच में बना हुआ हैं। जहां पर आने जाने का कोई स्थायी जरिया भी नहीं है। इतना ही नहीं उक्त महाविद्यालय में पिछले वर्ष फैलियर छात्रों से पूर्व की तरह विद्यालयी शुल्क जमा करने का फरमान छात्रों को सुनाया गया जिस पर फैलियर छात्रों ने कहा कि जब वह पढ़ने ही नहीं आये तो विद्यालयी शुल्क वसूली का औचित्य नहीं है। लेकिन महाविद्यालय प्रबंधतंत्र की धन कमाऊ नीति गरीब छात्रों के भविष्य के रौंदने में सफल हो गयी। क्योंकि अनेकों छात्रों द्वारा परीक्षा शुल्क जमा करने के बाद उनकी नेट की पर्ची को महाविद्यालय कर्मियों ने स्वीकार नहीं की। तब तक उक्त मामले की जन सुनवाई पोर्टल पर एसएस राजावत द्वारा उच्च शिक्षा आयोग लखनऊ से की गयी तो आयोग ने शिकायत को गंभीरता से लेते हुये उसकी जांच के लिये बुंदेलखंड विश्वविद्यालय झांसी के रजिस्ट्रर को प्रेषित कर दी। उधर जैसे ही उक्त मामले की जानकारी कथित कागजी तरीके से संचालित महाविद्यालय के कथित कर्मियों को पता चली तो उनमें हड़कंप मचना शुरू हो गया। क्योंकि उक्त महाविद्यालय में कितने शिक्षक है, कितने लिपिक है और कौन चतुर्थ श्रेणी कर्मी हैं इसकी जानकारी आज तक महाविद्यालय में पढ़ने वाले किसी छात्र को पता नहीं चल पायी। क्योंकि जब से महाविद्यालय का संचालन शुरू हुआ है उसमें एक भी दिन कक्षाओं का संचालन ही नहीं हुआ है। फिर भला छात्र कैसे अपने गुरूओं को पहचान पायेंगे।
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