सवेज आलम
हाजीपुर सदर अस्पताल में अमानवीयता का मामला सामने आया है। यहां भर्ती मरीज को वॉर्ड ब्वॉय ने कचरे के ढेर पर फेंक दिया।बताया जाता है कि युवक आग से झुलस गया था। इस पर उसे लालगंज रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था
हालत में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने उसे हाजीपुर सदर अस्पताल रेफर कर दिया लेकिन, युवक को यहां बेहतर उपचार तो नहीं मिला, उल्टा उसे कचरे के ढेर में मरने के लिए छोड़ दिया गया मामले में अस्पताल उपाधीक्षक का कहना है कि वाॅर्ड अटेंडेंट की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी
इससे पहले अम्बेडकरनगर जिला अस्पताल के संवेदहीन स्टाफ ने एक लाचार मरीज को जिला अस्पताल के बाहर कर दिया। मरीज इलाज के अभाव में करीब दस दिनों तक अस्पताल के बाहर तड़पता रहा। इस दौरान भोजन-पानी तक उसे नसीब नहीं हुआ। वहां से गुजरने वाले किसी भी चिकित्सक व अफसर ने भी उस पर गौर नहीं किया। बाद में मामला संज्ञान में आने पर जिलाधिकारी ने इस पर कड़ा रुख अपनाया। मरीज को दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया और इलाज शुरू हुआ। उधर मामला तूल पकड़ने पर सीएमएस एसपी गौतम ने तीन सदस्यीय जांच कमेटी बनायी है।
डा. आरपी जायसवाल को कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया है। रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। टांडा तहसील क्षेत्र के दानपुर ग्राम निवासी रंगबहादुर सिंह को बीमार पड़ने पर उनके भाई ने लावारिस बताकर जिला अस्पताल में 12 जून को भर्ती कराया था। रंगबहादुर के पत्नी बच्चे नहीं है। रंगबहादुर के दोनों पैरों ने काम करना बंद कर दिया था। जिला अस्पताल में एक माह से अधिक समय तक इलाज चला। उसके बाद भी जब रंग बहादुर ठीक नहीं हुए तो बकौल रंगबहादुर उन्हें अस्पतालकर्मियों ने बाहर लाकर रख दिया।
वह लगभग 10 दिन अस्पताल के बाहर खुले आसमान के नीचे पड़े रहे। हैरत की बात यह है कि जिस जगह रंगबहादुर पड़ा हुआ था वही अफसरों, चिकित्सकों के आने-जाने का मुख्य मार्ग है। लेकिन किसी ने भी ध्यान नहीं दिया। दर्द से कराह रहे रंगबहादुर ने बताया कि एक माह पूर्व उसके भाई ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। कुछ दिन इलाज चला, फिर एक सफाईकर्मी ने उन्हें बाहर रख दिया। सफाईकर्मी ने रंगबहादुर से कहा कि मैडम ने आपको बाहर करने के लिए कहा है।
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