शावेज़ आलम की रिपोर्ट
“मौलाना मोहम्मद मियां की कहानी जमीयत उलेमा के एक दौर की कहानी थी”: मौलाना कारी सय्यद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी
“देश के वर्तमान संकट के समय में अपने पूर्वजों से सीख लेकर भविष्य का निर्धारण करें”: मौलाना महमूद मदनी
नई दिल्ली 15 सितंबर 2018
शताब्दी वर्ष समारोह आयोजनों के तहत जमीयत उलेमा हिंद के नेतृत्व में नई दिल्ली के मावलंकर हॉल में जमीयत के महापुरुषों और एतिहासिक पुरूषों की सेवाओं और कुर्बानीयों पर दो दिवसीय सेमिनार आयोजित किया गया इस सम्मेलन की अध्यक्षता अमीर उल हिंद मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी अध्यक्ष जमीयत उलेमा हिंद ने की जबकि सफल संचालन मौलाना महमूद मदनी महासचिव जमीयत उलेमा हिंद , मुफ्ती मोहम्मद सलमान मंसूरपुरी , मुफ्ती मोहम्मद अफ्फान मंसूरपुरी ने संयुक्त रूप से किया इस अवसर पर अपने शुरूआती संबोधन में अध्यक्ष जमीयत उलेमा ए हिंद मौलाना कारी सैयद मोहम्मद उस्मान मंसूरपुरी ने कहा कि इस सेमिनार में अबुल महासिन हजरत मौलाना मोहम्मद सज्जाद बिहारी रहमतुल्लाह अलहि और सैयद उल मिल्लत हजरत मौलाना सैयद मोहम्मद मियां साहब देवबंदी रहमतुल्ला अलेह० के व्यक्तित्व और सेवाओं को विषय बनाया गया है यह दोनों हस्तियां जमीयत उलेमा हिंद के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं अबुल महासिन हजरत मौलाना सैयद मोहम्मद सज्जाद साहब रहमतुल्ला अलेह अपने दौर के महत्वपूर्ण व्यक्तियों में से थे अल्लाह ताला ने उन्हें अनेक प्रतिभाओं का धनी बनाया था आप प्रण के पक्के थे जमीयत उलेमा हिंद और इमारत ए शरिया की स्थापना में इनकी मूल और महत्वपूर्ण भूमिका है दूसरी तरफ हजरत सैयद उल मिल्लत रहमतुल्ला अलेह का व्यक्तित्व है जिनके कलम ने काबिल महापुरुषों के इतिहास को समेटने और उन्हें क्रमबद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है और इस सेवा में पूरी जमात में उनका कोई विकल्प नहीं है जमीअत उलमा हिंद के एक दौर की कहानी मौलाना मोहम्मद मियां की कहानी थी अध्यक्ष जमीयत उलेमा हिंद ने कहा कि अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन दोनों हस्तियों के छोड़े हुए पद चिन्हों को अपने लिए मार्गदर्शक बनाएं ताकि उससे लाभ उठाया जा सके
मौलाना राबे हसन नदवी नाजिम दारुल उलूम नदवातुल उलमा ने अपने संदेश में कहा कि जमीयत उलमा हिंद ने अपनी 100 वर्षीय सेवाओं का परिचय कराने के लिए सेमिनार आयोजित करने का जो कदम उठाया है वह प्रशंसनीय है आवश्यकता है कि नई पीढ़ी को अपने पूर्वजों की सेवाओं से परिचित कराया जाए ताकि उनमें हिम्मत, हौसला, दीनी रुझान पैदा किया जाए
अपने संबोधन में मौलाना सैयद अरशद मदनी अध्यक्ष जमीयत उलमा हिंद ने महापुरुषों पर आयोजित हो रहे सेमिनाररों के लिए मौलाना महमूद मदनी की प्रशंसा की और कहा कि जमीयत उलेमा हिंद की यह विशेषता है कि उसे हमेशा अल्लाह वालों का नेतृत्व और संरक्षण प्राप्त रहा है जमीयत उलमा हिन्द हकीकत में हजरत शेख उल हिंद मौलाना महमूद हसन देवबंदी रहमतुल्ला अलहि० की जमात है जिसे उनके शागिर्दओ ने मोहब्बत के जज्बे के तहत कायम किया था इसलिए जैसे ही वह माल्टा से वापस आए तो उनको जमीयत उलेमा हिंद का पहला स्थाई अध्यक्ष बना दिया गया लेकिन जीवन ने साथ न दिया और सिर्फ 12 दिन के बाद उनकी मृत्यु हो गई बाद में उनके साथियों जिनमें मौलाना मोहम्मद सज्जाद रहमतुल्ला अलेह और मौलाना सैयद मोहम्मद मियां रहमतुल्ला अलहि० भी थे ने जमीयत उलेमा हिंद के कारवां और आंदोलन को ऊंचाइयों तक पहुंचाया मौलाना मोहम्मद सज्जाद रहमतुल्ला अलेही एक प्रतिभा शाली महत्वपूर्ण व्यक्ति थे उन्होंने अपने जीवन में जमीयत उलमा ए हिंद के आंदोलनों की बुनियाद रखी वह जमीयत का दिमाग कहलाते थे
मौलाना महमूद मदनी महासचिव जमीअत उलमा हिंद ने कहा कि आज मुसलमानों के जो हालात हैं उनमें हमें हजरत सैयद उल मिल्लत मौलाना मोहम्मद मियां देवबंदी रहमतुल्ला की याद आती है जिन्होंने देश के बंटवारे के बाद मची अफरा तफरी अनिश्चितता अव्यवस्था की लहर का सीना तान कर मुकाबला किया आज हमारे बच्चे और बच्चियों की बड़ी संख्या बिगड़ने के कगार पर है ऐसे में हमारे ऊपर काम और जिम्मेदारी अधिक बढ़ गई है अगर हम इस पर काम नहीं करेंगे तो हमारी नस्ले हमें माफ नहीं करेंगी, इस अवसर पर मौलाना महमूद मदनी ने शताब्दी समारोह को लेकर ऐलान किया कि केंद्र की तरफ से अभी 6 मजीद सेमिनारओं का आयोजन किया जाएगा जमीअत उलमा हिंद पूरे मुल्क में इस तरह के 500 सम्मेलन करेगी उन्होंने यह भी ऐलान किया हजरत शेख उल हिंद मौलाना महमूद हसन देवबंदी रहमतुल्ला अलहि हजरत शेख उल इस्लाम हजरत मौलाना हुसैन अहमद मदनी रह० और फिदा ए मिल्लत मौलाना असद मदनी रह पर संयुक्त रूप से सम्मेलन शीघ्र ही किए जाएंगे उन्होंने कहा कि हम प्रोग्राम इसलिए कर रहे हैं ताकि हम अपने महापुरुषों से सीख लेकर अपने भविष्य का प्रोग्राम तय करें,
मौलाना अतीक अहमद बस्तवी अध्यापक दारुल उलूम नदवातुल उलमा ने कहा कि जमीयत के संस्थापकों पर सेमिनार का फैसला बहुत ही संतोषजनक और प्रशंसनीय है इसके माध्यम से नई पीढ़ी अपने पूर्वजों की कुर्बानीयों से परिचित होगी यह सेमिनार सिर्फ पूर्व का इतिहास बताने के लिए नहीं है बल्कि 100 वर्षीय यात्रा में जो हालात पेश आए हैं उसकी रोशनी में नई योजना बंदी की जाए
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी सचिव ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा कि जब कोई व्यक्ति इस देश में इतिहास लिखेगा तो जमीयत का इतिहास सुनहरे शब्दों से लिखा जाएगा हजरत मौलाना अबुल महासिन सज्जाद की एक विशेषता यह भी थी कि वह हर मामले को शरई दृष्टिकोण से देखते थे और उसके बाद ही फैसला करते थे आप अपनी पूरी जिंदगी शरीयत की सुरक्षा और इस्लामी भाइयों को दावत पहुंचाने में लगे रहे मौलाना अनीसउररहमान कासमी नाजिम इमारत ए शरिया बिहार उड़ीसा झारखंड ने अपने संबोधन में कहा कि मौलाना सज्जाद मरहूम ने देश में इमारत ए शरिया का सही इस्लामी दृष्टिकोण पेश किया मौलाना ने अपनी पूरी जिंदगी एकता उम्मत और उम्मत की एकता के गठन में गुजार दी उन्होंने कहा कि मौलाना मोहम्मद सज्जाद भविष्य को सामने रखकर सोचने वाले लोगों में से थे आज भी उलमा में ऐसी सोच की आवश्यकता है!
पाकिस्तान के प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान और विधान सभा के सदस्य मौलाना अता उर रहमान ने कहा कि के अगरचे देश बंटवारे के बाद क्षेत्र बदल गए मगर विचार दृष्टिकोणओं का बंटवारा नहीं हुआ और ना ही हो सकता है इस अवसर पर उपरोक्त के अलावा मौलाना अख्तर इमाम आदिल कन्वीनर सेमिनार, मौलाना अबुल महासिन सज्जाद, मौलाना जियाउल हक खैराबादी, कन्वीनर सेमिनार मौलाना सैयद मोहम्मद मियां देवबंदी, मौलाना नूरुल हसन राशिद कांधलवी, मौलाना नदीम उल वाजिद, प्रोफेसर अख्तरुल वासे उप कुलपति मौलाना आजाद यूनिवर्सिटी जोधपुर, मौलाना असद महमूद सदस्य कौमी असेंबली पाकिस्तान, मौलाना मोहम्मद सुफियान कासमी मोहतमिम दारुल उलूम वक्फ देवबंद, मौलाना अब्दुल्लाह मारुफी अध्यापक दारुल उलूम देवबंद,डा० सऊद आलम कासमी ,प्रोफेसर अबू बकर अबाद, मौलाना रहमतुल्लाह कश्मीरी सदस्य शूरा दारुल उलूम देवबंद ने अपने शोध पत्र पेश किए और विचार प्रकट किए इनके अलावा स्टेज पर मौलाना बुरहानुद्दीन संभली अध्यापक दारुल उलूम नदवातुलउलूम, मौलाना सैयद साजिद मियां बिन मौलाना सैयद मोहम्मद मियां देवबंदी, मौलाना अब्दुल शकूर सदस्य पाकिस्तान सहित समिति जमीयत के पदाधिकारियों एवं जिम्मेदार मौजूद रहे आज के सम्मेलन में माजिद देवबंदी ने अपनी नज्म पेश की मौलाना अमीन उल हक ओसामा कानपुरी ने हदिया नात और जमीयत उलेमा हिंद का तराना पेश किया
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