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बुधवार, 26 दिसंबर 2018

कदौरा क्षेत्र में शिक्षा विभाग की लापरवाही भृष्ट खण्ड शिक्षाधिकारी के चलते चरम पर है।#public statement



कदौरा क्षेत्र माध्यमिक विद्यालय में छात्र बच्चों से मजदूरी कार्य करवाये जाने से ग्रामीणों में आक्रोश एस डीएम से शिकायत

मजदूरी कार्य के दौरान खेल में छात्रा का हाथ टूटने पर ले जाया गया अस्पताल

बाल श्रम जैसे नियम कानून क्या सरकारी महकमे में लागू नही होते
     
   उरई ।कदौरा विकाश खण्ड क्षेत्र में एक ऐसा सरकारी विद्यालय जहां हो रहे निर्माण कार्य मे मजदूरी स्कूली बच्चों से ही करवाया जा रहा है एक बच्ची का हाथ टूटने पर आक्रोशित परिजनों द्वारा उपजिलाधिकारी से शिकायत कर कार्यवाही की मांग की गयी।
ज्ञातव्य हो कि विकाश खण्ड कदौरा क्षेत्र ग्राम कुआखेड़ा निवासी राजकुमार कुशवाहा द्वारा उपजिलाधिकारी को शिकायत कर बताया कि उक्त गांव में पूर्व माध्यमिक विद्यालय में वर्तमान समय निर्माण कार्य चल रहा है। जिसमे शिक्षको द्वारा छात्र बच्चो से गुम्मा बालू का कार्य मजदूरी की तरह करवाया जा रहा है उक्त मजदूरी के दौरान शिकायत कर्ता की भतीजी रेशमा पुत्री हरिकांत कक्षा 6 का हाथ सोमवार को टूट गया जिसे शिक्षको द्वारा स्वास्थ्य केंद्र भी नही ले जाया गया।घर लौटी छात्रा के घायल होने की जानकारी हुई तो बच्ची को उपचार के लिए ले जाया गया वही छात्रा द्वारा बताया गया कि शिक्षक विद्यालय निर्माण कार्य बच्चो से जबरन करवाते है जिससे कई बच्चो ने स्कूल जाना भी बंद कर दिया है वही परिजन राजकुमार हरिकांत सज्जन सिंह दिलीप सिंह आदि द्वारा आक्रोशित होकर कहा गया क्या बच्चे मजदूरी के लिए विद्यालय जाते है।फिलहाल कदौरा क्षेत्र में शिक्षा विभाग की लापरवाही भृष्ट खण्ड शिक्षाधिकारी के चलते चरम पर है जिसमे आये दिन कोई न कोई घटना शिकायत आरोप लगते ही रहते है अब आरोप के मुताबिक क्या सरकारी विभाग में बच्चों से काम करवाना बालश्रम कानून के अंतर्गत नही आता।हो सकता है भाई सरकारी विभाग के लिए नियम अलग से बने है अब उक्त मामले में भी विभागीय खण्ड शिक्षा अधिकारी व बी एस ए पूर्व के आरोप शिकायतों की तरह कान में हाथ लगाकर चुप्पी साधे रहेंगे क्यो कि उक्त विभाग में खुद भृष्ट खण्ड शिक्षाधिकारी सर्वेश अध्यापक को खुलेआम गाली देते है व जनता से शिक्षक को पीटने की सलाह भी देते है। जिसकी रिकार्डिंग भी है लेकिन जिम्मेदारों को फर्क नही पड़ता। फिलहाल उक्त शिकायत सूचना पर उपजिलाधिकारी सुनीलकुमार शुक्ला द्वारा परिजन को आस्वाशन दिया कि पहले छात्रा का उपचार करवाये फिर लिखित दे जिससे जांच कार्यवाही हो सके।फिलहाल उक्त मामले में शिक्षाविभाग के उदासीन अधिकारी से बात नही की गई क्यो कि सिस्टम में होने की वजह से उक्त किसी भी मामले में जांच की वजाय पर्दा डालते नजर आते है।

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