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गुरुवार, 3 जनवरी 2019

अवैध चट्टा संचालन को रोक पाने में प्रशसन नतमष्तक

शरद शर्मा की रिपोर्ट


कानपुर नगर, अफसरों की कार्य प्रणाली में ढीलापन है या फिर चट्टा संचालन अडियल है। कुछ तो ऐसा है कि अधिकारियों की लाख कवायद के बाद अभी भी चट्टे शहर के बाहर नही जा सके। लक्षण पार्क गाँधी नगर, ग्वालटोली, खलासी लाइन, आर्यनगर, चमनगंज, बाबूपुरवा, लाल बंगला, अशोक नगर, गोविन्द नगर सहित पूरे शहर में चट्टे अभी भी संचालित हो रहें है। हर चट्टे से भारी मात्रा में निकलने वाले गोबर को चट्टा संचालक निर्भय होकर नाली में बहा रहे है और यह सफाई कर्मचारी तथा अधिकारी भी अच्छी तरह जानते हे लेकिन सख्त कार्यवाही न होने के कारण चट्टा संचालन बेखौफ है।

कानपुर नगर के थाना सीसमऊ क्षेत्र के वार्ड नंबर 49 मकान नंबर- 106/200, वा 106/201 में (1) संजय अग्निहोत्री s/o महेश कुमार अग्निहोत्री ; (2) शानू तिवारी s/o ओम नरायन तिवारी लक्षण पार्क गाँधी नगर कानपुर के द्वारा अवैध रुप से अवाशीय क्षेत्र में चटटा संचालित हो रहा हैं 
जोकि मुहल्ले में रोड पर वा पार्क के अन्दर-बाहर जानवरो को बांध गोबर फैलाना , नाली में गोबर बहाना और जानवरो को खुला छोड़ देना जिससे जानवरों का क्षेत्रीय निवासियों के घर के बाहर गोबर और पेशाब करना जिस कारण क्षेत्र में बिमारियों का प्रकोप फैला रहता है और संजय अग्निहोत्री s/o महेश कुमार अग्निहोत्री का पूरे पार्क में कब्जा कर पार्क को चट्टे के रुप में तब्दील कर दिया गया है क्षेत्रीय निवासियों ने जब इसका विरोध करते हैं तो संजय अग्निहोत्री अभद्र भाषा का प्रयोग कर दब्ंगई में पहुँच वा पैसों के रुवाब दिखाता  हैं जिस सम्बंध मे मननीय नगर आयुक्त जी को क्षेत्रीय वासियो की तरफ से एक पत्र भी दिनांकः 27/08/2015 को दिया गया था पर कोई कार्यवाही नहीं हुई 
जिस कारण क्षेत्र मे बिमारी और मछरो का प्रकोप फैला हुआ हैं।


 👉 बतातें चले कि स्वच्छ गंगा परियोजना का आधिकारिक नाम एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन परियोजना या ‘नमामि गंगे’ है। यह मूल रुप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम मिशन है। प्रधानमंत्री बनने से पहले ही मोदी ने गंगा की सफाई को बहुत समर्थन दिया था। उन्होंने वादा किया था कि वह यदि सत्ता में आए तो वो जल्द से जल्द यह परियोजना शुरु करेंगें।

अपने वादे के अनुसार उन्होंने प्रधानमंत्री बनते ही कुछ महीनों में यह परियोजना शुरु कर दी। इस परियोजना ने उन्हें लाभ भी देना शुरु कर दिया। इसका सबूत उनकी अमेरिका यात्रा में देखने को मिला जहां उन्हें क्लिंटन परिवार ने यह परियोजना शुरु करने पर बधाई दी। यह परियोजना तब खबरों में आई जब आरएसएस ने इसकी निगरानी करने का निर्णय लिया और साथ ही विभिन्न कर लाभ निवेश योजनाओं की घोषणा सरकार ने की। नमामि गंगे योजना के अंतर्गत 370 करोड रूपये से 34 वार्डो में सीवर सफाई का काम शुरू किया गया था, लेकिन गोबर के कारण यह नही हो पाया। चटटो से गोबर को नालियों में बहाया जा रहा है जिससे सीवर लाइन बुरी तरह चोक है। कुछ दिन पहले ही जल निगम ने नगर निगम को चटटे वालों को नालियों में गोबर डालने से रेाकने के लिए पत्र भी लिखा था, लेकिन इसका असर भी खास नही रहा। वहीं शहर के 192 चटटों को चिन्हित किया गया था जिन्हे  शहर के बाहर केटल कालोनी में भेजे जाने की तैयारी चल रही है। आंकडे बताते है कि शहर में मौजूदा स्थिति यह है कि यहां लगभग 12 सौ अधिक चट्टों को संचालन किया जा ता है। गलियों तक में बडे-बडे चट्टे बने है, वहीं लक्षण पार्क गाँधी नगर, चमनगंज, ग्वालटोली अहिराना, शास्त्री नगर सिंधी कालोनी, हरबंश मोहाल, रेल बाजार में तो सडक पर ही चट्टे बना लिये गये जो प्रतिदिन आवागमन में बाधक बने हुए है। कारण साफ है कि अधिकारियो की हीला-हवाली ही है कि उनका लचर रवैया चट्टा संचालकों के लिए वरदान बन चुका है और वह आराम से अपने चटटों का शहर के भीतर संचालन कर रहे है। फिलहाल कानपुर नगर को चट्टो से कब निजाद मिलेगी यह आने वाला समय और अधिकारियों की कार्य प्रणाली ही तय करेगी।

👉 (1) क्या ये चटटा नगर निगम के अधिकारियों की सहमति से चल रहा हैं।

👉 (2) क्या ये चट्टा पुलिस-प्रशासन की सहमति से चल रहे हैं। 

👉 (3) अवैध दुध कारोबरियो की मौज ही मौज, ठगा जा रहा उपभोक्ता

रोजमर्रा काम आने वाली खाद्य सामग्रियों में मिलावट के काले कारोबार ने लोगों के स्वास्थ्य के लिए प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। जिले दुध में मिलावट का काम धड़ल्ले से हो रहा है। दूध हर घर की जरूरत है, दूध हर कोई पीता है। लेकिन, यही दूध कब जहर बनकर आपके सामने आ रहा है। इस बात की आशंका हमेशा बनी रहती है। दूध में डिटरजेंट, पानी और सिंथेटिक, स्टार्च समेत कई ऐसी चीजें मिलाई जाती हैं, जो हमारी आपकी सेहत के लिए काफी खतरनाक होती हैं। हर कोई दूध में होने वाली मिलावट को लेकर परेशान है। इसे रोकने के कोई ठोस प्रयास नहीं हो रहे हैं। 

स्वास्थ विभाग सुस्त ठगा जा रहा उपभोक्ता

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