बालू माफियाओं के प्रतिष्ठानो पर पड़े सीबीआई के छापें
- शहर में मचा हडक़ंप, खनिज विभाग ने साधीं चुप्पीं- पुलिस की गतिविधियां रहीं तेज
- ज्यादातर मामलें हमीरपुर जनपद के, कई आईएएस लपेटे में
उरई। बालू से बने करोड़पति माफियाओं के प्रतिष्ठानो पर सीबीआई के छापे पड़े जिसको लेकर शहर में मचा हडक़ंप। वहीं कई आईएएस भी इसके लपेटे में आए। खनिज विभाग ने इस पर साधीं चुप्पीं चूंकि मामला हमीरपुर जनपद से जुड़ा हुआ है इसलिए वहां पर जिनके पट्टे थे या अवैध रूप से बालू का खनन किया था वों सब लोग इसके लपेटे में आ गए। एक-एक पहलू पर जांच चल रहीं है और अभी तक किसी को भी कोई भी जानकारी नहीं दी गई। मामला अति संवेदनशील होने के कारण स्थाई पुलिस को भी सिर्फ एक सीमा तक जिम्मेंदारी सौंपी गई है।
मिलीं जानकारी के अनुसार करन राजपूत बम्हौरी और रामअवतार बाबू जो कि पहले से हीं सीबीआई की जांच में उलझें हुए थे कि अचानक आज सीबीआई ने इनके उरई में स्थित प्रतिष्ठानो पर दबिश दे दीं और चारों तरफ से उन्हें अपने अंडर में ले लिया। सुरक्षा को द्रष्टिगत रखते हुए स्थानीय पुलिस की सहायता ली गई। इन दोनो बालू माफियाओं के पटटे हमीरपुर जनपद में थे और हमीरपुर में पटटो को लेकर जांच पहले से हीं चल रहीं थी। संभवत: २०१६ में इसके आदेश हुए थे तब से मामला विचाराधीन था, उस समय हमीरपुर की डीएम रहीं बी चंद्रकला उन्होंने अपने पद की गरिमा को ताक में रखकर अवैध बालू खनन कराया नतीजा आज वों भी लपेटे में आ गए। निरंतर बेतवा से बालू का खनन होता रहा और बिना एम-एम 11 के यह बालू निकाली गई जिसमें सपा और बसपा का पूर्व शासक माहिर रहा। मंत्री, अधिकारी से लेकर अन्य लोगों ने खूब माल कमाया। सपा के मंत्री गायत्री प्रजापति जिन्होंने जेल की हवा खाई और बसपा के मंत्री बाबू सिंह कुशवाहा वों भी सीखछा के पीछें पहुंचें और उन्हें सजा भी हुई परंतु सपा और बसपा के कार्यकाल में बालू का खेल खेला गया है। भाजपा आते हीं इस पर किसी हद तक अंकुश लगाने का प्रयास किया गया चूंकि इस खेल में कई लोगो ने अपनी अहम भूमिका निभाई। बालू खनन के मामलें में हमीरपुर में अव्वल रहा और उसमें एक नहीं अनेक पट्टाधारक या अवैध रूप से बालू का खनन करने वालें केंद्र व प्रदेश सरकार की आंखो की किरकरी बन गए। जो आदेश हाईकोर्ट द्वारा विगत वर्षो में किए गए अब उनका असर देखने को मिला। उरई से लेकर हमीरपुर, कानपुर से लेकर अन्य शहरों में सीबीआई का छापा डाला गया है। प्रतिष्ठानो पर किसी को अंदर या बाहर आने जाने की कोई परमीशन नहीं दी गई। इस मामलें में जिला खनिज अधिकारी राजेश कुमार से वार्ता की गई तो उन्होंने बताया कि मुझें किसी भी प्रकार की कोई जानकारी नहीं है। कहा छापे डाले गए, कैसे छापे डाले गए इसके बारे में मैं कुछ भी नहीं बता सकता हूं। हालांकि इस छापेंमारी से बालू माफियाओं में अच्छा खासा हडकंप मचा हुआ है और वों अपने मोबाइल फोन को बंद किए हुए है। सूत्रों से मिलीं जानकारी के अनुसार वेां मुख्यालय छोडक़र अन्य जगह भाग खड़े हुए है। चूंकि हमीरपुर और जनपद की सीमा मिलीं हुई है। बेतवा दोनो जनपदो से गुजरीं हुई है इसका फायदा भी बालू माफियाओं ने उठाया। हमीरपुर और जनपद के शायद ही कोई ऐसे घाट बचें हुए है जहां इनकी दस्तक न रहीं हों। इतना हीं नहीं बालू का सिंडीकेट ही इन्हीं लोगो के द्वारा ही संचालित किया जाता था और बिना इन लोगो की स्वीक्रति के पत्ता नहीं हिलता था जो बैरियल खनिज के लगाए गए थे उनसे भी लगातार वसूली होती थी इसमें विभागीय लोग भी कहीं न कहीं अपनी भूमिका निभा रहें थे अब छापें से आम जनता को यह एहसास हो गया कि पूर्व सरकारों के शासनकाल में कितनी जबरदस्त रूप से अनियमिताएं हुई और शासन को अरबों रूपए की चपत लगी। समाचार लिखें जाने तक सीबीआई की छापेंमारी बालू माफियाओं के प्रतिष्ठानो पर जारी रहीं।
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