(पब्लिक स्टेटमेंट न्यूज से शावेज़ आलम की रिपोर्ट)23/04/19 राजनीतिक बयानबाजी में हमेशा मदरसों पर हमेशा उंगली उठाई जाती रही है। कभी उसे राष्ट्र विरोधी शिक्षा का अड्डा कहा जाता है तो कभी आतंक की नर्सरी। यहां तक कि मदरसों को लव जेहाद की पाठशाला तक कहा जाने लगा है, लेकिन हाल ही में जारी हुए यूपीएससी परीक्षा के नतीजों ने ऐसा कहने या फिर सोचने वालों को करारा जवाब दिया है।
मदरसे से पढ़े एक मौलाना ने भी देश के सबसे बड़े इम्तिहान को पास कर आईएएस अफसर बनने का रास्ता साफ किया है। मौलाना शाहिद रजा खान ने संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) 2018 की ऑल इंडिया रैंकिंग में 751वां स्थान प्राप्त किया है।
एएनआई से बात करते हुए शाहिद ने अपने विचार व व्यक्तिगत जीवन के बारे में विस्तृत रूप से बतलाया। शाहिद का कहना है कि मदरसे में पढ़ाई के दौरान ही सिविल सर्विसेज में जाने के लिए बेहद आतुर था। मदरसे में पढ़ाई करने के बाद मौलवी बने शाहिद रजा खान ने अपने बारे में बताया कि ''मेरी प्रारंभिक शिक्षा एक छोटे से गांव के कस्बे में हुई।
इसके बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए आजमगढ़ के मुबारकपुर स्थित अल जमातुल अशर्फिया चला गया। अब मैं जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहा हूं।'' शाहिद रजा ने अपने इस सफलता के पीछे की पूरी कहानी भी बतलाई।
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