(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट)26/05/19 उरई।हाफिज शोएब अंसारी ने रमज़ान माह में अल्लाह की राह में खूब खूब खर्च करने की ओर गरीबो मिस्कीनों के मदद करने की अपील की और साथ ही साथ रमज़ान के महीने के विशेषता बतलाते हुए
हाफिज शोएब अंसारी ने कहा कि रमज़ान का महीना मुस्लिम संस्कृति का एक बहुत ही महान महीना होता है रमज़ान के महीने में पूरे महीने रोज़ा रखा जाता है रमज़ान के रोज़े हर मोमिन मर्द औरत पर फ़र्ज़ है बच्चों और बीमारों के लिए छूट है रोज़े का वक़्त सुबह फजिर की अज़ान(सूरज निकलने से पहले)शुरू होता है ओर मगरिब की अज़ान(सूरज के डूबते ही)तक रहता है इस बीच कुछ भी खाया पिया नही जाता रोज़े इंसान में सहन शीलता को बढ़ाते है और इंसान के जिस्म में मौजूद खराब माँस वा टॉक्सिन वगैरह सबको खत्म कर देते हैं। जिससे कि इंसान को कभी कैंसर नही होता और भी तमाम बीमारियों से निजात मिल जाती है
रमज़ान का महीना बहुत की पवित्र माना जाता है यह इस्लामिक कैलेण्डर के नोवे महीने में आता है मुस्लिम धर्म मे चाँद का अत्यधिक महत्व होता है इस्लामिक कैलेंडर में चाँद के अनुसार महीने के दिन होते है जो कि 30 या 29 होते है इस तरह हर साल के दिन कम होते जाते है जिसमे रमज़ान का महीना भी अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक प्रति वर्ष 10 दिन पहले आता है रमज़ान दिनों की चमक देखते ही सभी आपस मे प्रेम से मिलते है गीले शिकवे भुलाकर सभी एक दूसरे को भाई मानकर रमज़ान का महीना मनाते है रोज़े रखते है और खूब इबादत भी करते है रमज़ान लोगो मे प्रेम और अल्लाह के प्रति विशवास को जगाने ओर गरीबो की भूख प्यास को समझने के लिए मनाया जाता हैं ताकि फर ज्यादा से ज्यादा गरीबी की मदद की जाये साथ कि दान का विशेष महत्व होता है जिसे जकात कहा जाता है गरीबो में जकात देना जरूरी होता हैं साथ कि ईद की नमाज़ से पहले फितरा दिया जाता है यह भी एक तरह का दान होता हूं इस्लाम धर्म के मुताबिक मुसलमान का मतलब मूसल-ए- ईमान होता है
अर्थात जिसका ईमान पक्का हो जिसके लिए उन्हें कुछ नियमों को समय के साथ पूरा करना होता है तब ही वे असल मायने में मुसलमान कहलाते है जिनमे अल्लाह के अस्तित्व में यकीन नमाज़ रोज़ा जकात हज प्रमुख है यह सभी दायित्व निभाने के बाद ही इस्लाम के अनुसार वह व्यक्ति असल मुसलमान कहलाता है
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