विष्णु चंसौलिया।
उरई (जालौन) बाराबंकी के माफियायों की साजिश से 65 लाख रूपये की वसूली के आरोप में तीन महीने पहले निलंबित कर डीजीपी दफ्तर में अटैच किये गये डा0 सतीश कुमार के मामले में आखिर यूपी सरकार को भूल सुधार करना पड़ा। मंगलवार को उन्हें ससम्मान बहाली के बाद जालौन के पुलिस अधीक्षक की कमान सौप दी गई।
2003 बैच के आईपीएस डा0 सतीश कुमार ने हेरोइन की तस्करी के लिए बदनाम बाराबंकी में माफियायों की नाक में दम कर दिया था। बाद में उन माफियायों के इशारे पर डा0 सतीश कुमार के खिलाफ 65 लाख रूपये की वसूली एक व्यपारी से करने का एक आरोप गढ़ दिया गया। एसटीएफ को जब इसकी जांच सौपी गई तो उसने आरोप की तस्दीक कर दी जिसकी वजह से लोकसभा चुनाव के दौरान 24 अप्रैल को चुनाव आयोग की अनुमति लेकर सतीश कुमार निलंबित कर दिये गये थे।
राज्य सरकार के इस कदम की बाराबंकी के निष्पक्ष लोगों ने आलोचना की थी। उन्होंने सोशल मीडिया पर इसके पीछे माफियायों की साजिश को उजागर किया था आखिर में विस्तृत जांच के बाद राज्य सरकार ने भी उनके मामले में चूक को स्वीकार कर लिया। इस कारण उन पर भरोसा जताते हुए आज उन्हें जालौन के पुलिस अधीक्षक की कमान सौप दी गई।
उधर खराब स्वास्थ्य के कारण जालौन के वर्तमान पुलिस अधीक्षक स्वामी प्रसाद को शासन ने लखनऊ में विशेष जांच का पुलिस अधीक्षक बना दिया है। हालांकि जालौन में पहले सीओ और इसके बाद एडीशनल एसपी रह चुके स्वामी प्रसाद लोगों में लोकप्रिय थे और उन्होंने क्राइम कंट्रोल में भी अपनी दक्षता साबित की थी।
जालौन के नये एसपी डा0 सतीश कुमार मूल रूप से बिहार के औरंगाबाद जिले के निवासी हैं। उन्होंने बरेली में रहकर वेटनरी से बीएससी और एमएससी की पढ़ाई की। आईपीएस बनने के पहले उनका सिलेक्शन 2007 में भारतीय वन सेवा में हो चुका था। प्रशिक्षु कार्यकाल में वे सहारनपुर के सहायक पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं। इसके बाद उन्होंने एसपीआरए लखनऊ व एसपीआरए बरेली के पद पर भी कार्य किया।
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