(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट)14/08/19 कोचिंग के बाहर आए दिन होता रहता झगड़ा वा मारपीट
उरई (जालौन) उरई की अब हर गली कोचिंग की दुकान बनती जा रही जिसमें बिना रजिस्ट्रेशन की खुली दुकान अब फीस के मामलों में सबसे अव्वल आ रही परिवार वाले भी बच्चों को महंगी फीस पर बच्चों को पढ़ाने के लिए मजबूर है क्योंकि उन्हें कोचिंग के अध्यापक बच्चों को होशियार बनाने के लिए कोचिंग पढ़ने की सलाह जो बताते और सबसे खास बात यह रहती कि जो जो अध्यापक उस स्कूल में पढ़ाते वहीं कोचिंग के मालिक होते बिना रजिस्ट्रेशन की बनी कोचिंग की दुकानों पर सुबह से लेकर शाम तक बच्चों की भीड़ जमा रहती है और मारपीट व लड़ाई झगड़े भी होते रहते कई बार कोचिंग की दुकानों के बाहर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ भी हो जाती हैं पर यह सब प्रशासन को पता होने के बाद भी आखिर प्रशासन क्यों अनजान बना हुआ है
अब सवाल यह उठता है कि पांच सौ से लेकर दो हजार तक फीस लेने वाले विद्यालयों में क्या पढ़ाई नहीं होती अगर होती है तो कोचिंग के बाहर बच्चों की भीड़ किस लिए लगती कोचिंग में एक बात यह खास रहती है कि जो अध्यापक स्कूल में पढ़ाते हैं वहीं कोचिंग में अगर बच्चों को होशियार बनाना ही है तो स्कूल में क्यों नहीं कोचिंग के बहाने परिवारवालों से आखिर अध्यापक क्यों मोटी कमाई कर रहे अगर किसी बच्चों को कोचिंग पढ़ना है तो रजिस्ट्रेशन और सुरक्षा की गारंटी वाली कोचिंग में कोचिंग क्यों नहीं जा रही
बिना रजिस्ट्रेशन और बिना सुरक्षा की कोचिंग की दुकान किसके कहने पर खोल रखी इसमें सबसे बड़ी लापरवाही प्रशासन की देखने को मिलती कई बार कोचिंग में हादसा होने के बाद भी प्रशासन कोई सीख लेना नहीं चाहता और बिना सुरक्षा और बिना रजिस्ट्रेशन की खुली कोचिंग दुकानों पर कार्रवाई आखिर क्यों नहीं कर रहे प्रशासन के आला अधिकारी आए दिन कोचिंग के बाहर बाइकर्स के स्टंट और कोचिंग के छात्रों की गुंडागर्दी देखने को मिलती कभी-कभी तो छात्रों की गुंडागर्दी व मारपीट थाने कोतवाली तक पहुंच जाती जाती।
कोचिंग के बाहर आए दिन होता रहता झगड़ा
स्टेशन रोड अंबेडकर चौराहा मच्छर चौराहा कोच बस स्टैंड पर बनी बिना रजिस्ट्रेशन के कोचिंग की दुकानों पर आपको आए दिन झगड़ा व मारपीट देखने को मिलेगी लड़ाई झगड़ा करने वाले कोई बाहर से नहीं आते वही कोचिंग में पढ़ रहे छात्र ही होते हैं और छात्रों की मारपीट इतनी बढ़ जाती है कि कई छात्र गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं यह सब कोचिंग के मालिकों को पता होने के बाद भी छात्रों को कोचिंग से नहीं निकालते क्योंकि अगर उन्होंने छात्र कोचिंग से निकाला तो उनकी दुकान बंद हो जाएंगी। जब मारपीट के मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं तो छात्रों का जीवन बर्बाद ना हो इसलिए पुलिस भी ले देकर मामले को रफा-दफा कर देतीं जब कोई बड़ा हादसा होता है तो फिर प्रशासन के आला अधिकारी हाथ पैर फुलाए फिरते और कार्रवाई का आश्वासन देते।
मोटी मोटी कमाई में अव्वल कोचिंग
हर गली में खुली कोचिंग दुकान अब मोटी मोटी फीस में भी अव्वल रहने लगी विद्यालय की 500 से लेकर 2000 तक की फीस देने वाले अभिभावक अब 1000 से 2000 तक कोचिंग की फीस देने के लिए मजबूर है ना तो कोचिंग का रजिस्ट्रेशन है और ना ही कोई सुरक्षा की गारंटी एक कमरा चार सीटो पर चल रही खुली कोचिंग की दुकानों ने फीस के मामलों में अच्छे अच्छे स्कूलों को भी पीछे कर दिया पढ़ाई के नाम पर बच्चों का जमावड़ा लगाने वाले कोचिंग संचालकों पर आखिर प्रशासन के आला अधिकारी कोई कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे।
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