(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट) 05/09/19 उरई( जालौन ) मोहर्रम की 10 तारीख को निकलने वाला ताजिये बनाने के लिए काम जोरों शोरों पर है बताते चलें जनपद में मोहर्रम की 10 तारीख को ताजिए का जुलूस निकलता है जिसमे शहर भर के एक से बढ़कर एक ताजिये शामिल होते और जिसका ताजिया जितना अच्छा होता उसे ताजिये कमेटी द्वारा ईनाम दिया जाता ताजिये मोहर्रम की 1 तारीख से पहले ही बनना शुरू हो जाते नहीं ताजिये बनाने वाले कारीगर अपने ताजिये को सबसे अच्छा बनाने के लिए दिन रात मेहनत कर रहे कादौरा क्षेत्र में बना रहे ताजिया पिंटू से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनके खानदान में 6 से 7 ताजिये बनते इसके लिए बहे दिन रात मेहनत कर रहे ओर अपने ताजिये को समये से पहले ओर अच्छा ताजिया बना भी लेते है ताजिये बनने में मेहनत के साथ अपने पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के नवासे इमाम हुसैन के लिए प्रति लगन ओर प्यार जरूरी है ऐसी कई बाते इदरीश खान (पिंटू) ने कही।
कुछ खास बात मोहर्रम के बारे में
मुहर्रम इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी साल का पहला महीना है। इस महीने की 10 तारीख को आशूरा कहते हैं। आशूरा और उसके एक अगले या पिछले दिन दुनियाभर के मुस्लिम रोजा रखते हैं। हालांकि यह रोजा रमजान के रोजे की तरह रखना आवश्यक (फर्ज) नहीं है, लेकिन मुहर्रम की दस तारीख को ही इस्लाम धर्म के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहुअलैहिवसल्लम के नवासे इमाम हुसैन को इराक के कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया गया था। जिससे दुनियाभर के मुसलमानों को भारी सदमा पहुंचा था। इमाम हुसैन की शहादत की याद में ही दुनियाभर के शिया मुसलमान इस दिन मातम मनाते हैं। लेकिन भारत में इस दिन इमाम हुसैन की कर्बला स्थित मजार पर बने मकबरे के जैसी आकृति का ताजिया बनाया जाता है।
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