(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट) 17/10/19 जालौन। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद भी गोवंश अभी भी सड़कों के किनारे या फिर गांव के बाहर, सड़कों पर मोहल्लों में मारी मारी घूम रही है। स्थानीय प्रशासन को गोशालाओं के निर्माण में गांव गांव जाकर, गौशालाओं के निर्माण कराए जाने के आदेश तो जारी कर रहा है लेकिन उनके आदेश से हवा हवाई साबित हो रहे हैं।ब्लॉक क्षेत्र में 62 ग्राम पंचायतों में 22 गौशाला का निर्माण होना है तो वहीं 16 अस्थाई गौशालाये बनायी जा रहे हैं लेकिन आज तक कोई भी गौशाला का निर्माण नहीं हो सका है। अगर एक या दो गौशाला में छोड़ डें तो आज भी गोवंश अपनी दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है। सरकार के तमाम प्रयासों तमाम आदेश धरातल पर सिर्फ हवा हवाई साबित हो रहे हैं।
पिछले दो-तीन माह से लगातार गौशालाओं के निर्माण के लिए स्थानीय प्रशासन की मशीनरी युद्ध स्तर पर जुटी दिखाई दे रही है। तमाम बैठकों, समीक्षा को ग्राम प्रधान को निर्देश लेकिन इसका असर कितना पड़ा यह समझा जा सकता है आज भी गोवंश इधर-उधर घूमता नजर आ रहा है। गांव शहर में जहां देखें वही गौवंश ही घूम रहे हैं जबकि ब्लॉक क्षेत्र में 62 ग्राम पंचायत में 22 गौशालाओं का निर्माण किया जाना है। स्थानीय प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद अभी तक मात्र दो या तीन गौशालाओं का ही कार्य पूर्ण किया गया है शेष अभी भी निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है इस सूरत में गाय दर-दर भटकने को मजबूर है।
16 अस्थाई गौशालाओं का भी यही हाल है जहां गौशालाये बनाई गई है वहां कर्मचारियों के अभाव के चलते कई गाय भी मर रही हैं। इस प्रकार की सूचना ग्राम हीरापुर गांव में बनी गौशाला का है जहां कुछ गाये मरने की सूचना वायरल हुई थी जिस पर उपजिलाधिकारी ने मौके पर जाकर निरीक्षण भी किया जिसमें एक दर्जन से अधिक गाय बीमार जरूर मिली थी। तमाम प्रयास के बावजूद भी गोवंश की दशा अभी तक नहीं सुधरी है। स्थानीय प्रशासन द्वारा गौशालाओं के नाम पर सिर्फ औपचारिकता पूर्ण की जा रही है। स्थानीय निरीक्षण में आज भी गोवंश अपनी दयनीय दशा पर आंसू बहाने को मजबूर है।
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