(विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट) उरई ( जालौन)20 अक्टूबर 2019 ग्राम पंचायत मंगरौल में ब्लाक महेवा के द्वारा भेजी गई सोशल ऑडिट टीम ने विद्यालय परिसर पर आंगनवाड़ी केंद्र में प्रधान व सचिव के साथ गुप्त तरीके से सत्यापन करके सोशल ऑडिट के आदर्श वाक्य- पारदर्शिता, जवाबदेही, जन सहभागिता का जमकर मखौल उड़ाया है। वित्तीय वर्ष 2018 -19 के मनरेगा से संबंधित विकास कार्य जैसे -आवास, बंधीनिर्माण, संपर्क मार्ग आदि कार्यो का सत्यापन किया जाना था। ब्लॉक द्वारा ग्राम सभा मंगरौल में भेजी गई सोशल ऑडिट टीम सदस्यों- चंद्रमुखी (ब्लॉक कोऑर्डिनेटर माधौगढ) गंगा कुसुम (ब्लॉक कोऑर्डिनेटर) अनिल तिवारी (तकनीकी सहायक) की टीम के साथ संदीप गुप्ता सचिव प्रधान प्रतिनिधि रामसेवक के द्वारा विकास कार्यों का गुप्त तरीके से सत्यापन किया गया।
जबकि ग्राम प्रधान ज्ञानवती अनुपस्थित रहीं। सूचना ना होने की वजह से ग्रामीणों की उपस्थिति नगण्य रही। आंगनवाड़ी में मौजूद वाहनों को देखकर कुछ ग्रामवासी आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचे और अपनी समस्याएं टीम को बतानी चाही तो उनकी बात की अनसुनी कर दी गई। जिससे आहत ग्रामीण सत्यापन सभा का बहिष्कार करके चले गए। प्रधान प्रतिनिधि के द्वारा गाय चराने के लिए चरवाहों को ₹11000 मासिक वेतन पर रखा गया था। लेकिन दो-तीन महीने गुजरने के बाद भी उनके वेतन का भुगतान नहीं हो पाया। आज जब चरवाहों ने अपनी समस्या सोशल ऑडिट टीम को बताई। इसके बाद भी कोई संतोषजनक उत्तर नहीं मिला।
तो चरवाहे निराश होकर चले गए। ना तो कोई पूर्व सूचना ग्रामीणों को हुई और ना ही मनरेगा से संबंधित विकास कार्यों से लाभान्वित ग्रामीणों की सहभागिता। सत्यापन सभा में ग्राम सभा का एक भी सदस्य उपस्थित नहीं हुआ।जब कि पंचायत भवन जो ग्राम के मध्य में बना हुआ है लेकिन ब्लॉक स्तर के अधिकारी एवं सचिव व प्रधान जी को पंचायत भवन में मीटिंग कराना एवं मुनादी कराना नागवार गुजरता है क्योंकि ग्रामीणों की शिकायत कभी उच्च अधिकारियों के कानों तक न पहुंचे स्वयं ही अपनी फर्जी मीटिंग दिखाकर कागजी कार्यवाही कर कोरम पूरा कर लेते हैं।
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