(विष्णु चंंसौलिया की रिपोर्ट) 08/12/19 पुलिस मौके पर पहुंचीं, बड़ा हादसा होने से टला ,
उरई। मेडिकल कालेज छात्रों और सर्राफा के बीच स्थित स्पोर्टस की दुकान के संचालक से जूता खरीदने को लेकर कहा-सुनी हो गई और मामला वर्चस्व पर आकर अटक गया। मौके पर पुलिस पहुंच गई और दोनो पक्षों को समझा-बुझाकर एक बड़ा हादसा हलके में तब्दील करा दिया। वहीं मेडिकल कालेज के सीनियर डाक्टरों ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए इसको विराम देने का पूरा प्रयास किया।
आज सर्राफा बाजार में मेडिकल कालेज में पढऩे वाले छात्र जो कि जूता खरीदने गए हुए थे परंतु उनको कई दर्जन जूते स्पोर्टस की दुकान चलाने वाले संचालक ने दिखायें लेकिन उन्हें एक भी पसंद नहीं आया इससे दुकान में बैठे अन्य दुकानदार प्रभावित हो रहें थे तो दुकानदार ने मेडिकल कालेज के आए दो छात्रों से कहा कि हमारे पास इससे अच्छे शू नहीं है और उन्हें जाने के लिए कहा। यह बात मेडिकल कालेज के छात्रों को अच्छी नहीं लगी और वों चुपचाप चलें गए और कुछ हीं देर में मेडिकल कालेज में पढ़ रहें अपने अन्य साथियों के साथ दुकान पर आ धमके और जिनकी संख्या लगभग ७०-८० से कम नहीं होगी और उन्होने दुकान संचालित करने वाले नौकर सुभाष पांचाल को मार दिया, यह नजारा देखकर मोहित बाहर आ गए और किसी तरह से मामलें को सरकाने का प्रयास किया।
इतनी भारी भीड़ देखकर जहां पूरे सर्राफे में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। यह नजारा देखकर पूरे सर्राफे में हड़कंप मच गया परंतु मोहित के कुछ शुभचिंतको ने पुलिस को फोन कर दिया और कोई घटना घटित हो इसके पहले बल्लभ नगर चौकी इंचार्ज योगेश पाठक व प्र.नि. कोतवाली शिवगोपाल वर्मा मौके पर पहुंच गए और उन्होने पूरे मामलें की नजाकत को भांपते हुए सतर्कता बरतना प्रारंभ कर दिया। मेडिकल कालेज के छात्र अपनी गलती मानने को तैयार नहीं थे दुकानदार पर दबाब बना रहें थे कि वह माफी मांगे। चूंकि अधिक संख्या देखकर माहौल इस तरह से उत्पन्न हो गया था कि माफी भी फीकीं पड़ रहीं थी। मामला कोतवाली पहुंचा, मेडिकल कालेज के सीनियर डाक्टर भी मौके पर पहुंचे और उन्होने वास्तविकता को ध्यान में रखते हुए मेडिकल कालेज के छात्र से भी अपनी गलती के लिए दबाब बनाया।
कुल मिलाकर बड़ा मामला हलके में निपट गया। कहीं न कहीं पुलिस की सूझबूझ और सूचनातंत्र काम आया। हालांकि इसकी तहरीर दुकानदार द्वारा दे दी गई है और यह जांच का विषय है कि इसमें कौन दोषी है और कौन निर्दोष लेकिन बिना वजह एक अहम की लड़ाई ने इतना विशाल रूप ले लिया कि पूरा सर्राफा इस दृश्य को देखकर जहां भयभीत हो गया। वहीं मेडिकल छात्रों द्वारा इस तरह की तीसरी या चौथी घटना शहर के अंदर की गई। मेडिकल कालेज में छात्र बाहर से पढऩे के लिए आते है और इस तरह का माहौल बनाने से निश्चित तौर पर जहां मेडिकल कालेज की छवि तो धूमिल होती है और साथ ही इनके अभिभावक जो इनके ऊपर भरोसा करते है। दूर-दराज से यह छात्र-छात्रायें यहां शिक्षा ग्रहण करने आए है अगर यह कानूनी दांवपेंच में फंस जायेंगे तो शिक्षा अधर में लटकेगी और इनका भविष्य चौपट हो सकता है। इस मामले में प्र.नि. कोतवाली ने बताया कि मामला लगभग डाक्टरो की पहल से निपट गया।
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