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बुधवार, 4 मार्च 2020

भगवान की प्राप्ति के लिए ह्रदय की भक्ति आवश्यक है ।श्री व्यास गोपाल शरण ।

विष्णु चंसौलिया।


              उरई।विंध्य छेत्र की दुर्गम पहाड़ीयो से कल कल करती  पवित्र सिन्ध  नदी के पावन तट  पर मध्यप्रदेश का पवित्र तीर्थ सुविख्यात  साक्षात् विराजमान माता रतनगढ़ वाली मैया जहां दर्शन मात्र सेम भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो रही है । उसी पावन छेत्र मे सिध्द स्थान गौड बाबा पर आयोजित श्रीविष्णु यग्य मे हो रही भागवत कथा के सप्तम ,अष्टम प्रसंगों मे ध्रुव , प्रह्लाद जी की कथा मे कहा कि भगवान की प्राप्ति के लिएहिरदय  की भक्ति आवश्यक है ।ध्रुव जी ने पांच वर्ष की आयु मे  भगवान की ह्रदय से भक्ति की तो उन्हें भगवान  की प्राप्ति हुई ।भक्त प्रह्लाद की ह्रदयसे की गयी भक्ति से ब्रम्हा जी का वरदान प्राप्त हिरण्यकषिपु के उत्पीड़न से दुःखी भक्त प्रह्लाद की रक्षा  न्रसिहभगवान के रुप मे प्रकट हो  कर की । कथा व्यास श्री गोपाल जी महराज ने बताया कि  कुछ कारण है जिनसे नरक की स्थिति बनती है । क्रोध ,कर्कश वाणी, दरिद्रता, त्रषणा , सम्बन्धियो से बैर ,नीच की संगत आदि बही स्वर्ग के दान करता ,मधुर वाणी ,देवार्चन  ब्राहमण को भोजन कराना आदि  जब तक संस्कृति ऑर संस्कृत  का हमारे जीवन में सही से ज्ञान और समझ नहीं आयगी तव तक शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारपाना मुश्किल है । सूर्य वंश की कथा मे महाराज दशरथ नन्दन भगवान श्री राम जी  की कथा का वर्णन किया । राजा पारीछत जी ने श्री सुखदेव जी कहा कि स्वामी अव यदुवंश की कथा बिस्तार पूर्वक सुनाऐ । यदुवंश मे मथुरा के राजा उग्रसेन राज  करते थे  उनके बेटे कंस ने उन्हें राजसिहासन से उतार कर खुद सिहासन पर बैठकर मथुरा का राजा बन  गया । बहिन देवकी का विवाह  बसुदेव जी के धूमधाम से किया हाथी ,घोडा, सोना चांदी सव कुछ दे कर विदा करते समय आकाशवाणी हुई  कि  राजा कंस तू जिस वहिन की बिदा कर रहा है उसका आठवा पुत्र तेरा काल होगा ।कंस जब यह आकास वाणी सुनी तो उसने वहिन को मारने के लिए आया तभी वसुदेव जी  ने कहा जान से मत मारो देवकी के गर्भ से पैदा  सभी बच्चों को आपको सौप दूगा  ,इस पर कंस ने दोनों बंदी बना कर कारागार मे डाल दिया। देवकी तथाबसुदेव जी  को कारागार मे तमाम यातनाऐ कस द्वारा दी गयी ।जव देवकी के गर्भ से पहला पुत्र हुआ उसे लेकर व सुदेव जी कंस के पास ले गये वताया कि देवकी  का  पहला पुत्र है सुनते ही पापी कंस ने लेते ही उसका वध कर दिया ।  कयी तरह की यातनाओ से दुःखी देवकी और वसुदेव जी ने कारागार मे समय बिताया इस पापी कंस के अत्याचार को नष्ट करने हेतु भगवान स्वयं माता देवकी आठवें गर्भ  मे  कन्हैया  क्रष्ण के रूप मे जन्म लिया ।श्रोताओ ,महिलाओं ने बधाई गीत गाये  पूरा खचाखच भरा पंडाल व्रजमय हो गया ला ला की आरती ऐव दर्शन किऐ । पारीछत श्रीमती क्रष्णा ,वलराम ने पुष्पवर्षा कर खजानालुटाया ।सगीतमयी कथा मे श्री उमा शास्त्री भगवापुरा ,हरिबल्लभ शास्त्री लहार ,पं व्रजविहारी ,पंहरिओम शास्त्री श्योपुर ,पं राजेश दीछित कनासी ,यज्ञ पारीछत मानकुवर चौ हाकिम सिह बेरछा ,कमलश प्रजापति ठेकेदार सेवढा  सहित सैकड़ों भक्त गणमान्य नागरिक उपस्थिति रहे ।पारीछत बलराम यादव भगत जी नेभडारे मे सभी को भोजन कराया  एवं यथोचित दक्षिणा देकर सम्मानित किया  ।आयोजन मे नित्य ही उमड रहे जन सैलाब ने जहा कथावाचक  श्री गोपाल जी  कथा का आनन्द लिया वही पहाडो के बीच गौड बाबा का स्थान आस्था का केन्द्र बना है ।

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