फैक्ट्री बंद हैं, आमदनी बंद है सब कुछ बंद है और वो पैदल चले जा रहे हैं। पाँव में दर्द है, पसीने से तर है, पेट तीन तीन दिन भूखा है, पाँव में छाले हैं, लेकिन वो चले जा रहे हैं, चले जा रहें हैं। ये मजदूर हैं, इसलिए मजबूर हैं।
मनिंदर सिंह मनचला
बसें बंद हैं, ट्रेन बंद है, टैंपो बंद है, रिक्शा बंद है, रोड बंद है, फैक्ट्री बंद हैं, आमदनी बंद है सब कुछ बंद है और वो पैदल चले जा रहे हैं। पाँव में दर्द है, पसीने से तर है, पेट तीन तीन दिन भूखा है, पाँव में छाले हैं, लेकिन वो चले जा रहे हैं, चले जा रहें हैं। ये मजदूर हैं, इसलिए मजबूर हैं। कहीं पुलिस दंडा बरसाती है, कहीं खाना खिलाती है। तो कहीं मीडिया इनका हाल बताती है, लेकिन इनके घर तक पहुँचाने वाला इनका कोई नहीं हैं, कोई मदद नहीं, बस पैदल ही कई सौ किलोमीटर की दूरी पार करने के लिए विवश हैं। उस पर भी घर में घुसने से पहले कोरोना की जाँच करानी है ये सोचने पर विवश हैं।
जी हाँ! जहाँ कोरोना ने एक और सबको 21 दिनों तक घरों में रहने पर विवश कर दिया है वहीं दूसरी और अपने घरों से कोसो दूर किसी फैक्ट्री में काम कर रहे मजदूर किराये के घरों में रहते हैं। फैक्ट्री बंद हो जाने के कारण, पैसा न मिलने के कारण और मकान मालिकों की इस विषम परिस्थितियों में भी तीन तीन महीने का किराया मांगने के कारण और राशन खत्म हो जाने व राशन के लिए पैसा न होने के कारण लोग कोरोना वाइरस के चलते कर्फ्यू और लाक डाउन जैसी स्थिति होने पर भी अपने अपने घरों को पलायन होने पर मजबूर होते जा रहे हैं। अब आप सोचिये कैसी भयावाह स्थिति होगी वो, जिसमें ये पलायन होने पर मजबूर हैं। न इनके पास गाड़ी है न घोड़ा है बस है तो मन में एक ही ख्याल कैसे भी हो घर तो पहुँचना ही है।
अब सोचने की बात ये है कि साथ में छोटे छोटे बच्चों के मासूम पैर आखिर कब तक पैदल चल पाएंगे। आखिर कैसे पहुंचेंगे प्यासे भूखे मासूम और कैसे पहुचेंगे प्यासे भूखे लोग। अभी कल ही मैं खबर में सुन रहा था लोगों की व्यथा रात में दिल्ली की सड़कों में चलते कुछ लोगों से जब किसी मीडिया वाले ने बातचीत की तो पता चला कि करीब 40 लोग हैं जिन्होंने तीन दिन से कुछ नहीं खाया, मकान मालिक किराया मांग रहा है, किराया उनके पास है नहीं तो घर जाने को मजबूर हैं। ऐसे कितने लोग होंगे जो बाहर कमाने के लिए जाते हैं और ऐसी आपदा में अपना सब कुछ गवां कर घर वापसी करना चाहते हैं।
इनके लिए कोई न कोई इंतजाम सरकार को जरूर करना चाहिए। साथ ही ऐसे लोगों की ओर भी धयान देना चाहिए जो मजदूर की मजबूरी का फायदा उठाने में लगे हैं। उनमें चाहें किरायदार हों या दंडा चलाने वाली पुलिस।
साथ ही हमे यह भी देखना है कि जीतने व्यक्ति पैदल घर जा रहे हैं उनमें से किसी पर भी कोरोना वाइरस के लक्षण हो तो उसका तुरंत इलाज हो जाना चाहिए।
एक बात और हमे इस बात का भी ख्याल रखना है की उन्हें खाना मिलते रहना चाहीये। इस बात के सरकार को स्पष्ट आदेश दे देने चाहिए कि जो लोग पैदल चलने को मजबूर है उनके लिए गाड़ियों का इंतजाम किया जाना चाहिए।
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