कानपुर
जहां आज पूरा विश्व करोना जैसी महामारी से त्रस्त है वही देश में एक ऎसा तबका है जो जमाखोरी और कालाबजारी में लिप्त है। समाज को नोचने खसोटने वाले राक्षस खुलेआम जमाखोरी और कालाबजारी कर रहें है।
आज ऎसा ही एक मामला कानपुर माल रोड स्थित तपेश्वरी गैस एजेंसी में देखने को मिला जहां सुबह से ही गैस सिलेंडर लेने लोग पहुंचे तो वहां गैस एजेंसी का सलीम नाम का कर्मचारी बाहर बैठा सबसे सोमवार को आने को बोल रहा था। उसी समय गैस लेने पहुंचे एक अन्य उपभोक्ता ने जब गैस एजेंसी के सामने बनी बांस की झोपड़ी से भरे हुऐ गैस सिलेंडर जाते हुऐ देखें तो सलीम नामक कर्मचारी से सिलेंडर के बारे में पूछने पर कर्मचारी अनभिज्ञता जताने लगा।जब लोगों ने कर्मचारी से ऑफिस बंद होने और पर्ची ना बनाने का कारण पूछा तो कर्मचारी घबरा गया और उसने तत्काल पर्ची बनाने वाले अन्य कर्मचारी को बुला लिया आये हुऐ अन्य कर्मचारी से जब पूछा गया के सामने झोपड़ी में इतने सिलेंडर किसके है तो उन्होंने भी संतोषजनक जवाब नही दिया जबकि सामने झोपड़ी से जो बुजुर्ग भरे सिलेंडरों की सप्लाई कर रहा था उससे जब पूछा गया तो उसने कहा 50अतिरिक्त रूपये लाओ तो गैस तत्काल लाकर दे देगा। आनन फानन खुले गैस एजेंसी में पर्ची तो मिलने लगीं वो भी सादे कागज में मोहर लगाकर जबकि समान्य दिनों में कैम्प्यूट्रीक्रत्य पर्ची मिलती है जिसमें गैस के सभी खर्चों सहित मूल्य अंकित रहते है। सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार गैस सिलेंडर 1000हजार में ब्लैक किये जा रहें थे जब आज उपभोगताओं का पारा हाई हुआ तो सोमवार को मिलने वाली गैस भगवत दास घाट में तत्काल मिलने लगीं। जब विरोध कर रही जनता ने गैस एजेंसी की शिकायत सम्बंधित फीलखाना अध्यक्ष को की तो थानाध्यक्ष मौके पर तो आये और सामने बनी झोपड़ी में तलाशी ली तो मौके पर तीन सिलेंडर रखे मिले पर थानाध्यक्ष महोदय ने भी कोई कार्यवाही नही की उल्टे पैर वापस चले गये आखिर इस झोपड़ी में किसके सिलेंडर रखे थे। वहां मौजूद उपभोगताओं ने बताया यहां लगातार यूं ही पब्लिक को परेशान किया जाता है और इस झोपड़ी से गैस सिलेंडरों की लगातार कालाबजारी की जाती है जिसपर आजतक किसी ने कार्यवाही नही की।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें