रिपोर्टिंग राजन बाजपेई
पाली (हरदोई) गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले परिवार के बच्चों को शिक्षित करना सरकार की मानसिकता अवश्य दिखाई देती है।जिसके लिए प्रदेश सरकार द्वारा बखूबी सख्ती बरती जा रही है।लेकिन सत्ता पक्ष के झूले में बैठने वाले इस विभाग के कुछ मातहतों को सरकारी नौकरी करने के बाद भी गरीबों के बच्चों की शिक्षा की मुख्य धारा में जोड़ने की कोशिश नहीं की जाती है।जिस कारण अल्प संसाधनों के कारण कुछ गरीब परिवार के होनहार बच्चों की प्रतिभाओं को वह मौका नहीं मिल पा रहा।जिसका वह हकदार है।कुछ ऐसे ही अनगिनत उदाहरण आपको पाली कस्बे के सरकारी स्कूलों में पहुंचने के साथ मिल जाएंगे।कुछ ऐसी ही दर्दनाक व चिंताजनक स्थिति भरखनी ब्लॉक के सरकारी स्कूलों में बेसिक शिक्षा की हकीकत परखने निकली मीडियाकर्मियों की टीम शुक्रवार को बरुआरा के मजरा चक पहुंची। यहां के प्राथमिक स्कूल पहुंचते पहुंचते वक्त साढ़े 10 बजे से ज्यादा हो गया था, लेकिन स्कूल में ताला लटक रहा था। बच्चे स्कूल गेट के बाहर मास्टर जी का इंतजार कर रहे हैं। पत्रकारों ने जब इस स्कूल के बच्चों से पढ़ाई को लेकर सवाल किए तो इनमें से कुछ छात्रों ने बताया कि गुरुजी कभी भी समय पर नहीं आते, जिससे उनके शिक्षण कार्य पर बुरा असर पड़ रहा हैं। इसी बीच बच्चों के बात करने के दौरान गुरुजी भी आ गए। उन्होंने अपनी सफाई में बताया कि वह कुछ घरेलू कार्य से व्यस्त हो गए थे इसीलिए विद्यालय पहुंचे में देरी हो गई। मीडियाकर्मियों की टीम जब स्कूल के अंदर दाखिल हुए तो स्कूल के अंदर गांजा की फसल लहलहा रही थी। शौचालय के आसपास गन्दगी और कूड़ा करकट का ढेर लगा था। पेयजल और बिजली व्यवस्था का भी स्कूल में अभाव दिखा। बाउंड्रीवाल न होने की बजह से गांव के जानवर स्कूल परिसर में डेरा डाले रहते हैं। साथ ही स्थानीय लोग परिसर को व्यक्तिगत कार्यो के लिए भी प्रयोग करते देखे गए। 62 बच्चों वाले दलेलनगर के इस प्राथमिक विद्यालय में तीन अध्यापक तैनात हैं। इनमें से एक टीचर आशीष को मैकपुर अटैच कर दिया गया। जबकि इंचार्ज अध्यापक अजय कुमार सविता व अनिल शिक्षण कार्य की जिम्म्मेदारी संभाले हैं, लेकिन इंचार्ज शिक्षक अजय सविता ने विद्यालय को खाला का घर बना रखा हैं, यहां सरकार के नियम नहीं अजय सविता का फरमान लागू है, वह जब चाहते हैं तब स्कूल खुलता हैं, और जब नहीं चाहते तब स्कूल में ताला लटका रहता हैं। बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले इस शिक्षक को परिसर में खड़ी गांजा की लहलहाती फसल भी नही दिखाई पड़ी। कमोवेश ऐसी ही हालत मैकपुर के जूनियर व प्राइमरी स्कूल की भी थी, यहां भी स्कूलों में ताला लटक रहा था। जब इस संबंध में खण्ड शिक्षा अधिकारी सुचि गुप्ता से बात की गई तो उनका फोन नॉट रिचेबल बता रहा था।यह पहला वाकिया नहीं है जब एक जिम्मेदार अधिकारी का फोन नॉट रिचेबल हो।जिसके लिए सूत्रों से पता चला है कि मैडम से जब कोई उनकी जिम्मेदारी से सम्बंधित सवाल खड़े किए जाते हैं तो उत्तर के बदले में फोन स्विचऑफ या नाट रीचेबल ही मिलता है।जब वह क्षेत्र में होती हैं तो उनका फोन लगातार काम करता है।उनकी इसी कार्यप्रणाली के चलते अध्यापक भी खुश व उच्चअधिकारी भी उनसे खुश रहते हैं।
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