पब्लिक स्टेटमेंट के लिए विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट
माँ की ममता का नहीं है कोई मोल,
उरई(जालौन)। अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है, जिसे मदर्स डे, मातृ दिवस या माताओं का दिन चाहे जिस नाम से पुकारें यह दिन सबके मन में विशेष स्थान लिये हुए है। पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाए तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है। संतान के लालन-पालन के लिए हर दुख का सामना बिना किसी शिकायत के करने वाली मां के साथ बिताये दिन सभी के मन में आजीवन सुखद व मधुर स्मृति के रूप में सुरक्षित रहते हैं। भारतीय संस्कृति में मां के प्रति लोगों में अगाध श्रद्धा रही है, लेकिन आज आधुनिक दौर में जिस तरह से मदर्स डे मनाया जा रहा है, उसका इतिहास भारत में बहुत पुराना नहीं है। इसके बावजूद दो-तीन दशक से भी कम समय में भारत में मदर्स डे काफी तेजी से लोकप्रिय हो रहा है।
मुसीबत में माँ ही क्यों याद आती है?
क्या कभी आपने सोचा है कि ठोकर लगने पर या मुसीबत की घड़ी में माँ ही क्यों याद आती है क्योंकि वो माँ ही होती है जो हमें तब से जानती है जब हम अजन्मे होते हैं। बचपन में हमारा रातों का जागना, जिस वजह से कई रातों तक माँ सो भी नहीं पाती थी। वह गिले में सोती और हमें सूखे में सुलाती। जितना माँ ने हमारे लिए किया है उतना कोई दूसरा कर ही नहीं सकता। जाहिर है माँ के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए एक दिन नहीं बल्कि एक सदी, कई सदियां भी कम है।
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मदर्स डे पर लोगो की शुभकामनाएं
पूर्व पालिकाध्यक्ष कहते है मेरे अभी तक के राजनैतिक सफ़र में मेरी माँ गिरिजा चौधरी(पूर्व पालिकाध्यक्षा) जी ने मुझे जनता से जुड़े कार्यो में हमेशा आम जनता की भलाई ,नगर विकास के मुद्दो में मार्गदर्शित किया है जो मेरे जीवन की अनमोल सीख है,उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे ऊपर रहे।
वही विक्की परिहार का कथन है कि मां तेरे चरणों में मेरी जन्नत है मै ह्रदय से आपका आभारी हूं मुझे इतना प्यार हिम्मत और मेरे लाइफ के सभी अच्छे और बुरे पलों में मेरा साथ देने के लिए मुझे पहचान देने के लिए और क्या कहूं कुछ समझ में नहीं आ रहा बस आप ही मेरी भगवान हो मेरी दुनिया हो।
और मयंक पांडेय रुद्र ने अपनी माँ के लिए यह कहा कि मेरी सास माँ ने दुनिया को समझने की हर राह मुझे दिखाई है, और हर वक्त मेरा साथ देती है मैं उनके सानिध्य में हर मुसीबत का सामना कर सकता हूं और बड़ी से बड़ी लड़ाई लड़ सकता हूं
लहारिया पुरवा निवासी विपिन कुशवाहा कहते है कि मेरी पढ़ाई लिखाई के बाद लोगो की मदद के लिए मेरी माँ ने हमेशा मुझे आगे रक्खा और कहा कि गरीबो की मदद से ही पूण्य व आशीर्वाद मिलता है,जिंदगी का असली पथ यही है।
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