पब्लिक स्टेटमेंट के लिए विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट।
कालपी ( जालौन)
कोरोना जैसे अद्रश्य दैत्य ने देश और दुनिया का रहन सहन तो छोड़ो भारत जैसे देश की सभ्यताओं मान्यताओं पर भी गहरा प्रभाव डाला है।जिस देश में अतिथि देवो भव की मान्यता थी आज अतिथि दुश्मन भव हो गया जिस देश में घर के बाहर लिखा मिलता था स्वागतम आज उस स्थान पर लिखा है प्रवेश निषेध । आखिर देश और दुनिया को कहां तक ले जायेगी ये महामारी एक दम से सब कुछ बदल रहा है क्या प्रेम क्या व्यवहार क्या हमदर्दी क्या मित्रता सब कुछ समाप्त होते दिख रहा है लोगों ने अपने घरों में प्रवेश वर्जित और कुंडी न खटकाने की स्लिप चिपका दी है।
परिवर्तन इस कदर हावी है कि विवाह शादी के कार्ड में छपने वाले श्लोगन भी बदल रहे हैं पहले लिखते थे
भेज रहा हूं नेह निमंत्रण प्रियवर तुम्हें बुलाने को ।
हे मानस के राज हंस तुम भूल न जाना आने को।।
अब लिख रहा है
भेज रहा हूं नेह निमंत्रण प्रियवर तुम्हें बताने को।
हे मानस के राज हंस तुम आ मत जाना खाने को।।
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