पब्लिक स्टेटमेंट के लिए विष्णु चंसौलिया की रिपोर्ट 31/05/2020 उरई(जालौन) दुनिया भर में हर साल ३१ मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है।इस दिन का मुख्य उद्देश्य तंबाकू सेवन करने और इसके उत्पादन पर रोक लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए किया जाता है।तथा इसके व्यापक प्रसार और नाकारात्मक स्वास्थ्य के प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करना है।
तंबाकू जान लेवा है वावजूद इसके दुनिया में इसकी खपत साल दर साल बढ़ती जा रही है।हर साल इससे होने वाली विभिन्न बीमारियों के चलते लाखों लोगों की मौत हो जाती है। विशेषज्ञों का मानना है कि दुनिया भर में कम उम्र में होने वाली मौतों का एक प्रमुख कारण तंबाकू के उत्पादों का सेवन है। आंकड़े इस बात की गवाही देते हैं की विकास शील देशों में इसका उपयोग तेजी से बढ़ रहा है।साल २०१५ में जनरल आफ क्लीनिकल डाइग्नोस्टिक रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार भारत तंबाकू का सबसे बड़ा उपभोक्ता है यहां करीब २८ करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। तंबाकू का सेवन एक प्रकार की लत है जिसे लोग छोड़ना भी चाहते हैं पर छोड़ नहीं पाते।दुनिया भर में तंबाकू सेवन के कारण हर वर्ष ७० हजार लोगों की मौत हो जाती है। जिनमें से ८९०००० गैर धूम्रपान करने वालों का परिणाम दूसरे नंबर पर है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (who) के सदस्य राज्यों ने १९८७ में विश्व तंबाकू निषेध दिवस बनाया तब से दुनिया भर में सरकारों सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों ने धूम्रपान करने वालों उत्पादकों के उत्साह और प्रतिरोध दोनों मिले हैं। तंबाकू सेवन करने से लोगों में भयानक बीमारियां जन्म लेती है जिनमें प्रमुख रूप से केंसर, फेंफड़ों और मुंह में केंसर, फेफड़ों का खराब होना,दिल की बीमारी, आंखों से कम दिखना,मुंह से दुर्गंध आना आदि। इस दिन तंबाकू य इसके उपयोग पर रोक लगाने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए किया जाता है। साथ ही तंबाकू के सेवन से होने वाले स्वास्थ्य नुकसान के विषय में सचेत करना होता है। सबसे बड़ी चोंकाने वाली बात है कि धूम्रपान से विश्व में प्रतिदिन तीन हजार लोगों की मौत हो जाती है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें