दिवंगत समाजसेवी विपिन शुक्ला की स्मृति में कथावाचक आचार्य पं. राजेश पाण्डेय द्वारा पिछले एक सप्ताह से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण कराया जा रहा था। रविवार को कृष्ण सुदामा मिलन के प्रसंग के साथ कथा का समापन हो गया था ।
सोमवार को कथास्थल पर आयोजित हवन यज्ञ में बड़ी संख्या में आहुतियां डाली और भंडारे में प्रसाद ग्रहण कर पुण्य लाभ अर्जित किया। दोपहर से प्रारंभ हुआ भंडारा देर शाम तक चला।
पं. राजेश पाण्डेय ने कहा कि हवन-यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है। दुर्गुणों की बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं। यज्ञ से देवता प्रसन्न होकर मनवांछित फल प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।
उन्होंने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला प्र का अर्थ प्रभु, दूसरा सा का अर्थ साक्षात व तीसरा द का अर्थ होता है दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन बुद्धि व चित को निर्मल कर देता है। मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान का लगाए गए भोग का बचा हुआ शेष भाग मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है।
इस दौरान राकेश शुक्ला, मनीष सत्यम शिवा अंकित दीपक विकास हिमांशु अंकुश, दुर्गेश शुक्ला, नंदन, अंकुर आदि रहे।
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