अभिषेक जायसवाल की रिपोर्ट 7 जनवरी 2021 कानपुर।वैसे तो सहकारी समिति लोगों का ऐसा संघ है जो अपने पारस्परिक लाभ, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक उत्थान के लिए स्वेच्छापूर्वक सहयोग करते हैं। ऐसे व्यक्ति जो समान आर्थिक उद्देश्य के लिए साथ मिलकर काम करना चाहते हैं वे समिति बना सकते हैं। इसे ही सहकारी समिति कहते हैं। परन्तु जिले के बिनगवां क्षेत्र में स्थित सांस्कृतिक गृह निर्माण सहकारी समिति में कथित रूप से करोडों का घोटाला उजागर हुआ है।उक्त समिति से ताल्लुख रखने वाले व्यक्ति ने अपना नाम न छापने की शर्त पर हमारे संवाददाता को बताया कि भगवान दास दीक्षित विगत वर्ष 1992 में सचिव के पद पर निर्वाचित हुये थे। उसके बाद समिति की भूमि का विवाद कानपुर विकास प्राधिकरण से चलने लगा तो समिति के सचिव ने कोई पैरवी करना उचित नहीं समझा। जिसके बाद समिति के एक सदस्य ने ही निजी स्तर पर माननीय उच्च न्यायालय तक समिति का पक्ष रखते हुए विधिक कार्यवाही की और समिति की भूमि को कानपुर विकास प्राधिकरण से मुक्त करवाया।प्राप्त जानकारी के अनुसार समिति की भूमि केडीए से मुक्त होते ही कई भूमाफिया सक्रीय हो गये और वर्ष 2014 में विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से कथित रूप से चुनाव कराकर भगवान दास दीक्षित सचिव और राकेश पांडेय अध्यक्ष बन गए। लेकिन रुपयों के लेन-देन में तालमेल न बैठ पाने की वजह से समिति के अध्यक्ष और सचिव का विवाद चरम पर रहा, जिसका फायदा एक पूर्व प्रधान ने जमकर उठाया और वो समिति के सचिव की आड़ में करोड़ों की जमीन बेचकर घोटाला करता रहा । हमारे संवाददाता को कई अभिलेखीय साक्ष्य प्राप्त हुए हैं जिनके अवलोकन में सामने आया कि समिति में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार की योजना पहले से ही तय थी। इस कारण समिति के सचिव ने बीस वर्षों के बाद कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से चुनाव कराकर इतने बड़े घोटाले को अंजाम दिया।आरोपों को सच माने तो सांस्कृतिक गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों द्वारा पूर्व सरकार में लगभग चार करोड़ का घोटाला किया गया था। जिसमें एक स्थानीय भूमाफिया ने अपने रूतबे का लाभ उठाते हुये ग्राम समाज की जमीनों पर भी खूब अवैध कब्ज़े करवाये थे। जिसमें कई बार इस भूमाफिया की लिखित शिकायत कानपुर विकास प्राधिकरण से की गयी लेकिन कोई भी कार्यवाही नहीं हुई।स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की उदासीनता से त्रस्त होकर शिकायतकर्ता रमेश कुमार ने मुख्यमंत्री से लिखित शिकायत की जिसका निस्तारण करने के लिये लोक शिकायत अनुभाग, मुख्य मंत्री कार्यालय लखनऊ द्वारा कानपुर विकास प्राधिकरण को आईजीआरएस के माध्यम से निर्देशित किया गया। परन्तु इस मामले में भी हमेशा की तरह केडीए द्वारा चलताऊ तरीके से मामले के निस्तारण का प्रयास किया गया। जनसुनवाई पोर्टल के अनुसार इस मामले की आख्या प्रेषित और अनुमोदन लंबित है।
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