इस रिफाइनरी में कच्चे तेल को डीजल, पेट्रोल और विमान ईंधन में बदला जाता है। लेकिन कोरोनो वायरस के मामलों में जिस तेजी से वृद्धि हुई है और ऑक्सीजन की मांग बढ़ी है, उसको देखते हुए रिलायंस ने ऐसी मशीनरी लगाई है जिससे चिकित्सा स्तर के ऑक्सीजन का उत्पादन संभव हो पाया है। सूत्रों ने कहा कि चिकित्सा के लिये उपयोग होने वाले ऑक्सीजन बनाने के लिए औद्योगिक ऑक्सीजन के निर्माण की सुविधाएं इस्तेमाल की जा रही हैं। मामले से जुड़े एक सूत्र के अनुसार, ‘‘हर दिन लगभग 700 टन ऑक्सीजन की आपूर्ति देश के विभिन्न राज्यों को की जा रही है।
इससे प्रतिदिन 70,000 से अधिक गंभीर रूप से बीमार रोगियों को राहत मिलेगी।’’ ऑक्सीजन की ढुलाई विशेष टैंकरों में शून्य से नीचे (-) 183 डिग्री सेल्सियस पर की जा रही है और परिवहन लागत सहित ऑक्सीजन को राज्य सरकारों को बिना किसी लागत के दिया जा रहा है। यह कंपनी की सीएसआर (कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी) पहल का एक हिस्सा है। सार्वजनिक क्षेत्र की आईओसी और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) भी अपनी रिफाइनरियों में चिकित्सा में उपयोग होने वाले ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर उसका वितरण प्रभावित राज्यों को कर रही है। इसके अलावा सेल, टाटा स्टील जैसी इस्पात कंपनियों ने भी अपने संयंत्रों में चिकित्सा स्तर के ऑक्सीजन का उत्पादन शुरू कर उसकी आपूर्ति राज्यों को शुरू की है।
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