केंद्र ने कहा कि 19 अप्रैल को कर्फ्यू लगने से पहले ही श्रमिक इस कार्य में लगे थे। सरकार ने कहा, ‘‘इस बीच, कार्यस्थल पर भी कोविड-19 से बचने के अनुरूप केंद्र बनाया गया है, जिसमें वे 250 कर्मी रह रहे हैं जिन्होंने काम करते रहने की इच्छा जताई है।’’ उसने कहा, ‘‘इस केंद्र में कोविड-19 संबंधी प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन किया जा रहा है। स्वस्छता, थर्मल जांच, शारीरिक/सामाजिक दूरी और मास्क पहनने समेत कारोना वायरस से निपटने के लिए आवश्यक नियमों का पालन किया जा रहा है।’’ इसमें कहा गया है कि ठेकेदार ने संबंधित श्रमिकों का कोविड-19 संबंधी स्वास्थ्य बीमा कराया है और स्थल पर आरटी-पीसीआर जांच, पृथक-वास और चिकित्सकीय मदद के लिए विशेष केंद्र बनया गया है। शपथ पत्र में कहा गया है कि परियोजना पर काम कर रहे श्रमिक कार्यस्थल पर ही रह रहे हैं और सामाजिक दूरी समेत कोविड-19 संबंधी सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। सरकार ने कहा, ‘‘यह कहना गलत है कि श्रमिकों को सराय काले खां से रोजाना कार्यस्थल पर लाया जा रहा है, इसलिए याचिकाकर्ताओं के मामले का पूरा आधार ही त्रुटिपूर्ण है और गलत है।’’ इससे पहले, अदालत ने चार मई को जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए 17 मई की तारीख तय की थी और कहा था कि वह पहले उच्चतम न्यायालय के पांच जनवरी के फैसले पर गौर करना चाहती है। इसके बाद याचिकाकर्ता अदालत के चार मई के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय गए थे, जिसने मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है।
शीर्ष अदालत के समक्ष सुनवाई में याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि याचिका में राजपथ, सेंट्रल विस्टा विस्तार और उद्यान में चल रहे निर्माण कार्य को जारी रखने के लिए प्रदान की गई अनुमति का विरोध किया गया है। उन्होंने शीर्ष अदालत से कहा था, ‘‘मजदूरों को सराय काले खां और करोल बाग क्षेत्र से राजपथ और सेंट्रल विस्टा तक ले जाया जा रहा है, जहां निर्माण कार्य चल रहा है। इससे उनके बीच संक्रमण फैलने की आशंका बढ़ जाती है।’’ शीर्ष अदालत ने शीघ्र सुनवाई के लिए उच्च न्यायालय के पास जाने को कहा था। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में अर्जी दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है कि यदि परियोजना को महामारी के दौरान जारी रहने की अनुमति दी गई तो इससे काफी संक्रमण फैल सकता है। उन्होंने उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि ‘‘चरमराती’’ स्वास्थ्य सेवा प्रणाली और निर्माण स्थल पर कार्यरत श्रमिकों का जीवन जोखिम में होने के मद्देनजर परियोजना का जारी रहना चिंता का विषय है। अधिवक्ताओं गौतम खजांची और प्रद्युम्न कायस्थ के माध्यम से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि इस परियोजना में राजपथ और इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक पर निर्माण गतिविधि प्रस्तावित है। इस परियोजना के तहत एक नए संसद भवन, एक नए आवासीय परिसर के निर्माण की परिकल्पना की गई है जिसमें प्रधानमंत्री और उप-राष्ट्रपति के आवास के साथ-साथ कई नए कार्यालय भवन और मंत्रालय के कार्यालयों के लिए केंद्रीय सचिवालय का निर्माण किया जाना है।
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