राज्य सरकार द्वारा शुक्रवार को जारी एक बयान के अनुसार मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि यदि जरूरी हो तो स्थानीय स्तर पर नदियों में शव बहाने वालों के खिलाफ जुर्माना भी लगाया जाए। उन्होंने हिदायत दी कि प्रदेश में नदियों के किनारे स्थित सभी गांवों तथा कस्बों में ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान तथा शहरों में कार्यकारी अधिकारी और नगर पालिका, नगर पंचायत और नगर निगमों के अध्यक्षों के माध्यम से समितियां बनाकर यह सुनिश्चित करें कि उनके क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति परंपरा के नाते नदियों में शव न बहाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मृतकों की सम्मानजनक अंत्येष्टि के लिए धनराशि स्वीकृत की गई है और लावारिस शव के मामले में भी सम्मानजनक तरीके से धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अंतिम संस्कार कराया जाए। किसी भी दशा में धार्मिक परंपरा के नाते शव को नदी में न बहाने दिया जाए। उन्होंने कहा कि शव या मृत जानवरों के कंकाल बहाने से नदी प्रदूषित होती है।
केंद्र व राज्य सरकार नदियों को साफ करने के लिए अभियान चला रही हैं। इस संबंध में उन्होंने गृह विभाग, पंचायती राज विभाग, नगर विकास विभाग, पर्यावरण विभाग और ग्राम्य विकास विभाग को मिलकर ठोस कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये हैं ताकि कोई शव नदी में न बहाया जा सके। पिछले कुछ दिनों में हमीरपुर में यमुना नदी, गाजीपुर और बलिया में गंगा नदी में बड़ी संख्या में लावारिस शव बहते हुए मिले थे जिनका प्रशासन ने अंतिम संस्कार कराया। कुछ लोगों ने यह अंदेशा जताया था कि ये शव कोरोना वायरस के संक्रमण से मरने वाले लोगों के थे, हालांकि प्रशासनिक अधिकारियों ने इस आशंका को सिरे से खारिज कर दिया था।
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