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गुरुवार, 2 सितंबर 2021

आरटीई के तहत नहीं मिल रहा है निजी स्कूल में गरीब बच्चों को प्रवेश

(पब्लिक न्यूज से मो0 जुनैद की रिपोर्ट) 2 सितंबर 2021 कानपुर: आरटीई के तहत नहीं मिल रहा है निजी स्कूल में गरीब बच्चों को प्रवेश यह मामला कानपुर के हीरामन पुरवा निवासिनी सबीना और नूर बानो का है जिन्होंने अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए शिक्षा के अधिकार के तहत आवेदन किया था लॉटरी के माध्यम से 9/7/ 2021 को अलीगढ़ पब्लिक स्कूल का चयन हुआ अभिभावक खुशी खुशी स्कूल से संपर्क करने गए तो स्कूल संचालक एहतिशाम ने शिक्षा अधिकारी के आदेश देखते हुएझल्लाह गए सभी पत्रवली ज़मीन पर फेंक कर बोले यह सरकारी स्कूल नही है यह हमारी संपत्ति है और चौकीदार से जबरन बाहर निकलवा दिया विभागी निर्देषों का अनुपालन न होते हुए देख कर अभिवाको मीडिया से संपर्क कर निजी स्कूल की मनमानी कानून का पालन न करना विद्यालय का दुर्व्यवहार उजागर कर अपनी समस्या बताई  और बच्चों का भविष्य अंधकार में नजाये इस इस वजह से बच्चो को कक्षा में प्रवेश की मांग की 

अभिभावको ने कहा 

भारत देश में 6 से 14 वर्ष के हर बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 में बनाया गया है यह पूरा देश में अप्रैल 2010 में लागू करा गया है प्रत्येक बच्चे को उसके निवास क्षेत्र के 1 किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल और माध्यमिक स्कूल के 3 किलो अंदर उपलब्ध होना चाहिए निर्धारित दूरी पर स्कूल नहीं है तो स्कूल आने के लिए छात्रावास या वाहन की व्यवस्था की जानी चाहिए बच्चों को स्कूल में सांखला देते समय स्कूल या व्यक्ति किसी भी प्रकार की कोई अनुदान नहीं मांगेगा इसके साथ ही बच्चों या उसके माता पिता का साक्षात्कार देने के लिए मजबूर नहीं करेगा लेकिन निजी विद्यालय को ना तो मोटा पैसा हमसे मिल रहा है ना ही कोई खास फायदा हो रहा है इसलिए हम लोगों से दुर्व्यवहार भेदभाव किया जा रहा है।


 

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